ब्रिटेन और भारत बीच 1 बिलियन पाउंड का समझौता, ब्रिटेन और भारत ने निजी क्षेत्र के निवेश के लिए 1 बिलियन पाउंड ($ 1.39 बिलियन) की घोषणा की और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने मंगलवार को द्विपक्षीय संबंधों में एक नए युग की सराहना करते हुए एक बयान में कहा: “हमने आज जो समझौते किए हैं, वे यू.के और भारत के संबंधों में एक नए युग की शुरुआत हैं।”
ब्रिटेन प्रधानमंत्री जॉनसन ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक आभासी बैठक की, जिसको पिछले महीने भारत में COVID-19 मामलों के बढ़ जाने के कारण उन्हें अपनी व्यापार यात्रा को रद्द करना पड़ा था।
ध्यान रहे कि ब्रिटेन, दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जिसके भारत के साथ घनिष्ठ संबंध है तथा यह संबंध एक तरफ़ भारत-प्रशांत क्षेत्र में व्यापार और प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश में सहायक है तो दूसरी तरफ़ चीन के बढ़ते प्रभाव से निपटने के लिए भी एक प्रमुख स्तम्भ के तौर पर देखा जा सकता है
रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटिश सरकार ने भारत में 533 मिलियन पाउंड का निवेश किया, जिसमें सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा अपने टीकों और बिक्री व्यवसाय के लिए 240 मिलियन और ब्रिटिश व्यवसायों के लिए 446 मिलियन पाउंड के निर्यात सौदे शामिल थे।
निवेश की घोषणा “एन्हांस्ड ट्रेड पार्टनरशिप” समझौते के साथ हुई, और दोनों पक्षों ने 2030 तक मौजूदा द्विपक्षीय व्यापार को दोगुना करने की बात कही है।
इस साझेदारी में ब्रिटिश सेब से लेकर चिकित्सा उपकरणों तक के सामान पर निर्यात बाधाओं को हटाया जाएगा तथा भारत की कानूनी सेवाओं के क्षेत्र को भी यू.के फर्मों के लिए खोल दिया जाएगा। इसके बदले में ब्रिटेन अपने मछली पालन और नर्सिंग क्षेत्रों तक पहुंच में सुधार करने पर सहमत हुआ। वही दोनों देशों ने जलवायु परिवर्तन, प्रौद्योगिकी और फार्मास्यूटिकल्स पर समझौतों की भी घोषणा की।
दूसरी तरफ़ प्रवासन पर हुए एक समझौते में दोनों सहयोगियों के बीच पाए जाने वाले मतभेद को भी समाप्त करने की मांग की, जिसमें ब्रिटेन का कहना है कि ब्रिटेन में बहुत सारे भारतीय अवैध रूप से रह रहे हैं, और भारत का कहना है कि दसियों हजारों लोग जो अध्ययन करने के लिए ब्रिटेन आते हैं, उन्हें नौकरी के अवसरों से वंचित किया जाता है।
बताया जा रहा है कि ये समझौता प्रतिवर्ष 3,000 युवा भारतीय पेशेवरों के लिए रोजगार की संभावनाएं बढ़ाएगा, जिसके बदले भारत ब्रिटेन में अवैध रूप से रह रहे अपने किसी भी नागरिक को वापस लेने के लिए सहमत होगा।
ब्रिटेन द्वारा मंगलवार को घोषित किए गए कुछ निवेशों को पहले ही सार्वजनिक कर दिया गया था।