हिमंता बिस्वा सरमा ने भगवद गीता के ‘श्लोक’ के गलत अनुवाद के लिए माफी मांगी
असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने गुरुवार (28 दिसंबर) को भगवद गीता का श्लोक एक्स पर पोस्ट किया। इसमें लिखा था- गीता के अनुसार, शूद्रों का कर्तव्य अन्य तीन जातियों – ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्य की सेवा करना है।
गुरुवार रात को असम सीएम ने एक्स पर एक और पोस्ट किया। इसमें लिखा कि मेरी टीम के एक सदस्य ने गीता के अध्याय 18 के 44वें श्लोक से एक श्लोक गलत अनुवाद के साथ पोस्ट किया। सीएम सरमा ने लिखा कि गलती का एहसास होते ही यह पोस्ट हटा दिया। किसी को ठेस पहुंची है तो मैं ईमानदारी से माफी मांगता हूं।
हिमंत सरमा ने अपने माफीनामे वाले पोस्ट में यह भी कहा कि असम एक जातिविहीन समाज की तस्वीर है और गलत अनुवाद एक गलती थी। मैं नियमित तौर पर हर सुबह अपने सोशल मीडिया हैंडल पर भगवद गीता का एक श्लोक अपलोड करता हूं। अब तक 668 श्लोक पोस्ट किए हैं।
पोस्ट पर विवाद हुआ। AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी सहित कई नेताओं ने उन पर निशाना साधा और जाति विभाजन को बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
AIMIM चीफ और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने सरमा पर इस पोस्ट को लेकर निशाना साधा। उन्होंने एक्स पर लिखा है कि वह (हिमंत बिस्वा सरमा) हर भारतीय नागरिक के साथ समान व्यवहार करने की अपनी शपथ पूरी नहीं कर रहे हैं। हाल ही में हटाए गए एक पोस्ट में असम के सीएम ने समाज के बारे में अपने नजरिए के बारे में विस्तार से बताया।
उन्होंने आगे लिखा कि खेती, गाय पालन और वाणिज्य वैश्यों का प्राकृतिक कर्तव्य है और ब्राह्मणों, क्षत्रियों और वैश्यों की सेवा करना शूद्रों का प्राकृतिक कर्तव्य है। एक संवैधानिक पद पर रहते हुए आपकी शपथ प्रत्येक नागरिक के साथ समान व्यवहार करने की है।
यह उस दुर्भाग्यपूर्ण क्रूरता में झलकता है जिसका असम के मुसलमानों ने पिछले कुछ सालों में सामना किया है। हिंदुत्व स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के विपरीत है।