स्कूली किताबों में INDIA की जगह ‘भारत’ करने की NCERT समिति ने सिफारिश की
राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) पैनल ने स्कूल के सभी पाठ्यपुस्तकों में ‘इंडिया’ को ‘भारत’ से बदलने की सिफारिश की है। नैशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की हाई लेवल कमिटी ने यही सिफारिश की है। समिति के अध्यक्ष सी आई इस्साक ने बुधवार को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि NCERT पैनल ने सभी विषयों के पाठ्यक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) शुरू करने की सिफारिश की है।
G20 समिट 2023 के समय देश का नाम बदलने की खूब चर्चा हुई। कहा गया कि India की जगह ‘भारत’ लिखा जाएगा। राष्ट्रपति ने G20 के न्योते में India की जगह भारत लिखकर भेजा। फिर G20 के दौरान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेमप्लेट पर भी ‘भारत’ लिखा गया। उसके बाद संसद का विशेष सत्र बुलाया गया तो फिर उस चर्चा ने जोर पकड़ लिया। हालांकि, ऐसा कुछ हुआ नहीं। अब स्कूली किताबों में देश का नाम बदलने की सिफारिश की गई है।
एनसीईआरटी पैनल ने पाठ्यपुस्तकों में ‘प्राचीन इतिहास‘ के बजाय ‘शास्त्रीय इतिहास’ को भी शामिल करने की सिफारिश की है। सामाजिक विज्ञान की एक उच्च स्तरीय समिति ने इसकी सिफारिश की है, जिसके मुताबिक, सभी कक्षाओं की स्कूली पाठ्यपुस्तकों में इंडिया को ‘भारत’ से बदल दिया जाना चाहिए। हालांकि, NCERT के अधिकारियों ने कहा कि पैनल की सिफारिशों पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
आई इस्साक ने समाचार एजेंसी PTI को बताया कि, समिति ने सर्वसम्मति से सिफारिश की है कि ‘भारत’ नाम का इस्तेमाल सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए पाठ्यपुस्तकों में किया जाना चाहिए। हमने पाठ्यपुस्तकों में ‘प्राचीन इतिहास’ के बजाय ‘शास्त्रीय इतिहास’ को शामिल करने की भी सिफारिश की है।’ उन्होंने कहा कि समिति ने पाठ्यपुस्तकों में विभिन्न युद्ध में ‘हिंदू जीत’ को उजागर करने की भी सिफारिश की है।
आधिकारिक रूप से भारत नाम पहली बार G20 शिखर सम्मेलन के दौरान लिखा गया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु की ओर से दिए गए डिनर इनवाइट में ‘President of India’ की जगह ‘President of Bharat’ लिखा गया। इसपर विपक्षी दलों ने खूब हल्ला मचाया। फिर G20 के मंच से पीएम मोदी की नेमप्लेट पर भी ‘Bharat’ लिखा नजर आया।
आइजैक ने कहा कि बताया कि NCERT ने 2021 में विभिन्न विषयों पर पेपर तैयार करने के लिए 25 समितियां बनाई थीं। उनकी समिति भी इन्हीं में से एक है। इस समिति ने पाठ्यपुस्तकों में ‘प्राचीन इतिहास’ के बजाय ‘शास्त्रीय इतिहास’ को शामिल करने की सिफारिश की है।
उन्होंने कहा कि ‘अंग्रेजों ने भारतीय इतिहास को तीन चरणों में विभाजित किया – प्राचीन, मध्यकालीन और आधुनिक जिसमें भारत को अंधकार में दिखाया गया, वैज्ञानिक ज्ञान और प्रगति से अनभिज्ञ दिखाया गया। हालांकि, उस युग में भारत की उपलब्धियों के कई उदाहरणों में आर्यभट्ट का सौर मंडल मॉडल पर काम शामिल है।’