सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम बहुल इलाके को “पाकिस्तान” कहने पर अदालतों को चेतावनी दी

सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम बहुल इलाके को “पाकिस्तान” कहने पर अदालतों को चेतावनी दी

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को चेतावनी दी कि जजों को ऐसे असाधारण टिप्पणियों से बचना चाहिए जो किसी भी समुदाय के प्रति अपमानजनक और पूर्वाग्रह से भरी हो सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस श्रीशनंद की टिप्पणी पर चिंता जताई, जिन्होंने बेंगलुरु के एक खास अल्पसंख्यक आबादी वाले इलाके को “पाकिस्तान” कहा था।

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने मौखिक रूप से कहा कि आप भारत की जमीन के किसी भी हिस्से को “पाकिस्तान” नहीं कह सकते। यह बुनियादी रूप से देश की क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ है।

गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ समेत जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी. आर. गवई, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस ऋषिकेश रॉय की पांच सदस्यीय पीठ, कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस वी. श्रीशनंद की विवादित टिप्पणियों की वायरल वीडियो का स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रही थी।

हाल ही में, सोशल मीडिया पर 28 अगस्त को कर्नाटक हाई कोर्ट की लाइव सुनवाई का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें जस्टिस श्रीशनंद को बेंगलुरु के एक मुस्लिम बहुल इलाके को “पाकिस्तान” कहते सुना जा सकता है। बाद में, जस्टिस श्रीशनंद ने इस टिप्पणी पर खेद व्यक्त किया था।

सुप्रीम कोर्ट ने उनके खेद जताने के बाद आज इस मामले में और सुनवाई न करने का निर्णय लिया। साथ ही पीठ ने अदालतों को चेतावनी दी कि वे सतर्क रहें और अदालती कार्यवाही के दौरान ऐसे टिप्पणियां न करें जो हमारे समाज के किसी भी वर्ग के लिए अपमानजनक या पूर्वाग्रहपूर्ण हों।

सुप्रीम कोर्ट ने नोट कहा कि जजों की इस प्रकार की टिप्पणियों से न केवल उस जज की निष्पक्षता प्रभावित होती है बल्कि पूरे न्यायिक प्रणाली पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। निर्णय लेने के लिए दिल और दिमाग दोनों से निष्पक्ष और न्यायप्रिय होना आवश्यक है। हर जज को अपने पूर्वाग्रहों से अवगत होना चाहिए ताकि वह निर्णय सुनाने की अपनी मूल जिम्मेदारी के प्रति ईमानदार रहे।

अदालत ने यह भी नोट कहा कि जस्टिस श्रीशनंद की टिप्पणी के कुछ हिस्सों को सामाजिक पृष्ठभूमि से हटकर समझा गया, उनकी टिप्पणी अनजाने में हुई थी और उन्होंने अपने शब्दों पर खेद जताते हुए माफी मांग ली है। उनकी प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए हम इस मामले में और सुनवाई नहीं करेंगे।

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