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विशेष वर्ग का उत्पीड़न करना देश और समाज के लिए हानिकारक

एक विशेष वर्ग का उत्पीड़न करना देश और समाज के लिए हानिकारक

प्रयागराज: अपनी धार्मिक पहचान टोपी, कुर्ता पहन कर यात्रा करने वाले मदरसा छात्रों को प्रयागराज रेलवे स्टेशन पर गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ा, जब उन्हें गलत सूचना के आधार पर आरपीएफ जवानों ने स्टेशन पर रोक दिया। उनसे जबरन पूछताछ की गई, दस्तावेज मांगे गए, आधार कार्ड देखे गए, सभी सबूत दिखाने के बावजूद उन्हें अलग-अलग बाल कल्याण केंद्रों में भेजा गया। फ़ोन पर माता -पिता की पष्टि के बाद भी उन्हें वहां बुलाया गया और नमाज़ का वक़्त होने पर पहले नमाज़ की इजाज़त दी फिर उसका वीडियो बनाकर उन्हें यातनायें दी गयीं।

यह सूचना मिलने ही जमीयत उलेमाए हिंद के महाप्रबंधक मौलाना हकीमुद्दीन कासमी और प्रदेश उपाध्यक्ष मौलाना अमीनुल हक अब्दुल्ला कासमी ने जमीअत के स्थानीय लोगों को साथ मिलकर समय पर कार्रवाई की और तुरंत वकीलों से संपर्क किया और क़ानूनी कार्यवाई करने के बाद इन बच्चों को उनके घर के लिए रवाना किया।

जमीअत उलमा कोशाम्बी के अध्यक्ष ने घटना की विस्तृत जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान में ईद-उल-अजहा की छुट्टियों के बाद मदरसों के छात्र अपने घरों से मदरसों को लौट रहे थे। इसी सन्दर्भ में फतेहपुर जिले के मोहम्मदपुर गौंसी थाना घोष स्थित मदरसा जामिया दार अरकम, (जिनके कर्ता धर्ता अबू शहमा और नाजिम मुफ्ती सरवर नदवी हैं) के मदरसे के 15 छात्र 20 जुलाई को सहरसा जिले के मानसी स्टेशन से महानंदा एक्सप्रेस में प्रयागराज के लिए बैठे थे, सबके पास जनरल टिकट था, मदरसे के एक शिक्षक जिनका नाम मौलाना अब्दुल रब सीतापुरी है, अपनी देखरेख में इन बच्चों को उनके घर से लेने गए थे।

यात्रा के दौरान किसी ने रेलवे पुलिस को बच्चों का अपहरण कर उनसे मज़दूरी कराने की बात बताई। बस इसी झूठी खबर के आधार पर प्रयागराज स्टेशन पर उतरते ही उनसे बच्चों समेत पूछताछ की गई। सभी बच्चों के आधार और दस्तावेज देखे गए, उनके माता-पिता और जिस मदरसे में बच्चे पढ़ रहे थे उनके प्रबंधक से बात की गई और पुष्टि की गई, जिसके बाद उन्हें आधे घंटे में रिहा करने को कहा गया। उसके बाद भी आरपीएफ अधिकारियों ने इन बच्चों के माता-पिता को मौके पर बुलाने को कहा, जिस पर तीसरे दिन इन बच्चों के माता-पिता और अभिभावक भी पहुंच गए, इसके बावजूद बाल तस्करी और उसके के प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया गया।

इसी दौरान एक और घटना यह भी हुई कि जब नमाज का समय हुआ तो मौलाना अब्दुल रब सीतापुरी वहां मौजूद आरपीएफ कर्मियों से अनुमति लेकर नमाज़ पढ़ने लगें जिसका कुछ शरारती तत्वों ने वीडियो बनाकर वायरल कर दिया , जिसके बाद मामले ने एक और दिशा ले ली और आरपीएफ के अलावा, स्थानीय चरमपंथी संगठनों के लोग भी आए और मौलाना से पूछताछ करने लगे। जैसे ही यह ख़बर मदरसे के ज़िम्मेदार लोगों को पता चली।

उनकी जानकारी में यह बात आई तो उन्होंने तुरंत इसकी सूचना जमीयत उलेमा हिंद के महाप्रबंधक मौलाना हकीमुद्दीन कासमी और मौलाना अमीनुल हक अब्दुल्ला कासमी को दी और उनसे सलाह लिया, जमीयत उलेमा हिंद की ओर से वकीलों की टीम नियुक्त की और मौके पर पहुंच कर आरपीएफ की हिरासत में मौजूद सभी छात्रों और शिक्षक अब्दुल रब से सारी जानकारी हासिल कर ली कार्रवाई शुरू की। आज एक सप्ताह के भीतर, 15 छात्र बाल केंद्र छोड़ चुके हैं और कुछ अपने घर लौट चुके हैं और कुछ मदरसे पहुंच गए हैं।

मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए, यात्रा करते समय विशेष देखभाल करने की आवश्यकता है। आरपीएफ के इस दुराचार से बच्चों की शिक्षा का भी नुकसान हुआ, माता पिता और शिक्षक भी परेशान हुए , इसकी जितनी निंदा की जाए कम है, ऐसा व्यवहार देश और समाज के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रयागराज स्टेशन पर रोके गए सभी छात्र फतेहपुर के एक मदरसे में पढ़ रहे थे, जमीयत उलेमा कोशाम्बी के अध्यक्ष मौलाना मुर्शीद कासमी के प्रयास से 2 छात्रों को छोड़कर सभी मदरसे में लौट आए हैं। साथ ही कानूनी टीम की सलाह पर आरपीएफ अधिकारियों पर परेशान करने के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी विचाराधीन है, हम आग्रह करते हैं कि अपने पद का दुरुपयोग और पर निर्दोष लोगों को परेशान करने वालों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।

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