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यूनिफार्म सिविल कोड पर आप का केंद्र सरकार को समर्थन

यूनिफार्म सिविल कोड पर आप का केंद्र सरकार को समर्थन

राजनीति में आरोप प्रत्यारोप नई चीज़ नहीं है। इसका इस्तेमाल ज़्यादातर विपक्षी पार्टियां एक दूसरे के विरुद्ध करती रहती हैं। यह आरोप आम आदमी पार्टी पर अकसर लगते रहते हैं कि वह बी टीम है। यह आरोप कभी कांग्रेस लगाती है तो कभी बीजेपी। कांग्रेस आम आदमी पार्टी को बीजेपी की बी टीम मानती है तो बीजेपी आप को कांग्रेस की बी टीम।

लेकिन यह भी सत्य है कि केंद्र सरकार पर अक्सर हमलावर रहने वाली आम आदमी पार्टी कभी विपक्षी नेताओं या पार्टियों पर ईडी या सीबीआई जांच पर अपना विरोध दर्ज नहीं कराती थी, और कभी भी विपक्षी नेताओं के समर्थन में बयान नहीं देती थी जिसके कारण कांग्रेस उस पर बीजेपी की बी टीम होने का आरोप लगाती है।

23 जून को पटना में विपक्षी पार्टियों की मीटिंग में अरविन्द केजरीवाल को बुलाया गया था जिसमें वह संजय सिंह और राघव चड्ढा के साथ पहुंचे थे। केजरीवाल ने विपक्षी पार्टियों पर केंद्र सरकार के अध्यादेश के विरुद्ध समर्थन की शर्त रखी जिसे यह कह कर ख़ारिज कर दिया गया कि इस पर संसद में चर्चा होगी।

सूत्रों के अनुसार केजरीवाल ने राहुल गाँधी से चाय पर मुलाक़ात का समय माँगा लेकिन राहुल गाँधी ने मुलाक़ात से इंकार कर दिया। आप के कारण कांग्रेस को जितना नुकसान हुआ है उसके आधार पर कांग्रेस शायद आप पर भरोसा करने के लिए तैयार नहीं है। रही सही कसर आप ने यूसीसी पर केंद्र का समर्थन कर पूरी कर दी।

आम आदमी पार्टी यानी आप ने बुधवार को समान नागरिक संहिता को अपना सैद्धांतिक समर्थन दिया है। हालाँकि, इसके साथ ही इसने एक शर्त भी जोड़ दी है और कहा है कि सभी हितधारकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया जाना चाहिए।

आप के राष्ट्रीय महासचिव संदीप पाठक ने कहा है, ‘सैद्धांतिक रूप से हम समान नागरिक संहिता का समर्थन करते हैं क्योंकि अनुच्छेद 44 भी कहता है कि देश में यूसीसी होना चाहिए। हालांकि, इसे सभी के साथ व्यापक परामर्श के बाद लागू किया जाना चाहिए। हमारा मानना है कि सभी धर्मों के साथ व्यापक परामर्श होना चाहिए। राजनीतिक दलों और संगठनों को एक आम सहमति बनानी चाहिए।

आम आदमी पार्टी का यह बयान तब आया है जब समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी को लागू करने की बात अब प्रधानमंत्री मोदी ने भी की है। यूसीसी पर जोर देते हुए पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को कहा कि भारत दो कानूनों के साथ नहीं चल सकता, जबकि भारत का संविधान सभी के लिए समानता की बात करता है। उन्होंने पूछा कि परिवार के अलग-अलग सदस्यों पर अलग-अलग नियम कैसे लागू हो सकते हैं।

इस बीच कांग्रेस ने देश में सभी धर्मों के लिए नियमों के एक सेट पर बहस में शामिल हुए बिना यूसीसी के लिए प्रधानमंत्री की वकालत को ध्यान भटकाने वाली रणनीति के रूप में आलोचना की। कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि समान नागरिक संहिता को सही ठहराने के लिए एक परिवार और राष्ट्र के बीच तुलना करना ग़लत है।

चिदंबरम ने कहा, ‘एक परिवार खून के रिश्तों से जुड़ा होता है। एक राष्ट्र को एक संविधान द्वारा एक साथ लाया जाता है जो एक राजनीतिक-कानूनी दस्तावेज है। यहां तक कि एक परिवार में भी विविधता है। भारत के संविधान ने भारत के लोगों के बीच विविधता और बहुलता को मान्यता दी है।

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