मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में ‘महिला विंग’ भंग होने से लोग हैरान

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में ‘महिला विंग ‘ भंग होने से लोग हैरान

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ‘महिला विंग’ के भंग होने की खबर के साथ ही हर तरफ अफवाहों का दौर शुरू हो गया है। इसको लेकर कई लोगों ने अपना गुस्सा और नाराजगी जाहिर की है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के इस फैसले के सामने आने के बाद देश की हजारों मुस्लिम महिलाएं नाराज और चिंतित महसूस कर रही हैं। सोशल मीडिया पर इस खबर के वायरल होने के बाद मुस्लिमों का एक बड़ा तबका नाराज हो गया है।

कौमी आवाज डॉट कॉम का कहना है कि 11 अक्टूबर 2022 को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी ने डॉ. अस्मा ज़हरा को एक पत्र भेजकर बताया कि महिला विंग को भंग कर दिया गया है, इसलिए वह महिला विंग के बैनर तले आगे कोई गतिविधि अंजाम न दें। साथ ही यह भी कहा गया है कि महिला विंग के नाम से सभी सोशल मीडिया अकाउंट को डिलीट कर दिया जाएगा। पत्र में यह भी कहा गया है कि वर्तमान में इस्लाहे मोआशरा का एक वर्ग महिलाओं के लिए आरक्षित किया जा रहा है, जिसकी संयोजक आप (अस्मा ज़हरा) होंगी और इस्लाहे मोआशरा के संयोजक या संयुक्त संयोजक से संपर्क कर के काम को अंजाम दिया जा सकता है।

महिला विंग के भंग होने की खबर तब फैली जब 18 अक्टूबर को डॉ. अस्मा ज़हरा ने महिला विंग से जुड़ी सभी महिलाओं को एक पत्र के माध्यम से बोर्ड के फैसले की जानकारी दी। महिला विंग से जुड़ी महिलाओं और अन्य लोगों को जब पता चला कि बोर्ड ने महिला विंग को भंग कर दिया है तो हर कोई हैरान रह गया. सोशल मीडिया पर इस खबर के वायरल होने के बाद बोर्ड के प्रति मुसलमानों ने अपना गुस्सा और नाराजगी जाहिर की और इसे गलत कदम करार दिया।

इस पूरे मामले में मिल्लत टाइम्स ने एक रिपोर्ट छापी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 19 अक्टूबर, 2022 की रात को ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य डॉ. कासिम रसूल इलियास ने जनता के आक्रोश को देखते हुए बोर्ड के लेटरपैड पर दो पेज का एक पत्र व्हाट्सएप ग्रुप में पोस्ट किया। इस फैसले की आलोचना करने वालों पर उन्होंने इस्लाम विरोधी ताकतों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया और सफाई दी कि बोर्ड ने महिला विंग को भंग क्यों किया था?

डॉ. कासिम रसूल इलियास के पत्र में कहा गया है कि 22 मार्च 2022 को लखनऊ में हुई मजलिस-ए-आमेला की बैठक में कुछ लोगों ने महिला विंग की प्रक्रिया पर आपत्ति जताई थी, जिसके बाद बोर्ड की सलाह पर बोर्ड अध्यक्ष ने एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया गया था. इस कमेटी में मौलाना अतीक अहमद बस्ती, कमाल फारूकी, अतिया सिद्दीकी, फातिमा मुजफ्फर और डॉ. कासिम रसूल इलियास के नाम शामिल थे।

डॉ. कासिम रसूल इलियास को इस समिति का संयोजक बनाया गया। 24 जून 2022 को एक समिति की बैठक हुई जिसमें चेन्नई की फातिमा मुजफ्फर शामिल नहीं हुईं। केवल चार सदस्यों ने भाग लिया और महिला विंग को भंग करने का निर्णय लिया गया, जिसे लागू करने के लिए महासचिव ने 11 अक्टूबर को लिखा था।

इस मामले में डॉ अस्मा ज़हरा का कहना है कि उन्हें बोर्ड के महासचिव का पत्र 15 अक्टूबर 2022 को मिला था, जिसके बाद उन्होंने 18/19 अक्टूबर को बोर्ड की महिला विंग से जुड़ी सभी जिम्मेदार महिलाओं को एक पत्र लिख कर निर्णय की जानकारी दी थी। इसके बाद यह मामला व्हाट्सएप पर लोगों के बीच घूमने लगा।

डॉ अस्मा ज़हरा के संदर्भ में, मिल्लत टाइम्स ने लिखा कि बोर्ड ने उनसे (अस्मा ज़हरा) से परामर्श किए बिना यह निर्णय लिया है। उनसे कभी कोई संवाद नहीं हुआ। लखनऊ में हुई मजलिसे आमेला की बैठक में सिर्फ इतना कहा गया था कि महिला विंग की सीमाएं तय की जाएंगी. न कमेटी बनाने की बात हुई और न ही कुछ और। सभी को अंधेरे में रखकर यह फैसला किया गया है।

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