मदरसों का सर्वे करना सरकार का हक़, सर्वे से न डरें- दारुल उलूम देवबंद
मदरसों का सर्वे कराना सरकार का अधिकार, सर्वे से न डरें, हमारी तरफ से कभी कोई विरोध नहीं हुआ। मदरसा हमारा धर्म है। मदरसे हमारी धार्मिक जरूरतें पूरी करते हैं, सर्वे के दौरान आप सरकार का सहयोग करें और सारी जानकारी दें। इसकी घोषणा दारुल उलूम देवबंद में एक बड़ी और महत्वपूर्ण बैठक के बाद की गई जहाँ मौलाना अरशद मदनी ने वर्तमान स्थिति पर गहराई से प्रकाश डाला और देश के सभी गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों से बिना किसी झिझक के इस संबंध में सभी जानकारी देने की अपील की।
यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार ने मदरसों का सर्वे कराने का फैसला किया था। यह काम 10 सितंबर से शुरू हुआ था। हालांकि उत्तर प्रदेश के गैर मान्यता प्राप्त मदरसों के प्रतिनिधियों की रविवार को देवबंद के दारुल उलूम में मदरसों के सर्वे के सिलसिले में बैठक हुई।
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि अगर मदरसा सरकारी जमीन पर बना है तो मुस्लिम भाइयों को खुद उसे गिरा देना चाहिए। अपनी जमीन पर मदरसा बनाएं, चाहे इसके लिए आपको जमीन खरीदनी पड़े। उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोई जमीन दान करता है तो उसे देखना चाहिए कि वह जमीन दान की जा सकती है या नहीं, उसको दान करने में कोई सरकारी अड़चन तो नहीं।
बैठक में मदरसों में सरकार द्वारा कराये गये सर्वे को लेकर भी चर्चा हुई। अरशद मदनी ने प्रेस कांफ्रेंस करते हुए कहा कि यह बैठक कोई नई बात नहीं है, इस तरह की बैठकें हर साल 2 से 4 बार बुलाई जाती हैं। उधर, सरकार द्वारा कराए गए सर्वे को लेकर उन्होंने कहा कि मदरसों का सर्वे करना सरकार की जिम्मेदारी है. अगर कोई सर्वे करने आता है तो उसकी मदद की जाए। अभी तक जहां भी सर्वे हुआ है। वहां से कोई नकारात्मक खबर नहीं है। सर्वेक्षण अच्छी तरह से किया गया है।
मौलाना अरशद मदनी ने इस्लाम में मदरसे क्यों बनते हैं? इसके बारे में भी विस्तार से बताया । उन्होंने कहा सर्वे पर हमारी तरफ से कभी कोई विरोध नहीं हुआ। मदरसा हमारा धर्म है। मदरसे हमारी धार्मिक जरूरतों को पूरा करते हैं। मदरसों के भीतर हम अपनी मस्जिदों की जरूरतों को पूरा करते हैं। इस बैठक में 250 से अधिक मदरसों के संचालकों ने भाग लिया। राज्य के सभी मदरसों की नजर बैठक पर थी, लेकिन देवबंद ने फैसला सुना दिया है।
स्वतंत्रता संग्राम में मदरसों की मुख्य भूमिका
जमीयत उलेमाए हिंद के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में मदरसों के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता, मदरसे देश के संविधान से संचालित होते हैं और मदरसों के अंदर कुछ भी छिपा नहीं है। इसलिए उत्तर प्रदेश सरकार के सर्वे से किसी को घबराने की बिल्कुल जरूरत नहीं है। मदरसा संचालक सर्वेक्षण में सहयोग करते हैं और सर्वेक्षण दल को पूरी और सटीक जानकारी प्रदान करते हैं।
बैठक के बाद ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ इस्लामिक मदरसा के मॉडरेटर मौलाना मुफ्ती शौकत बस्ती ने सम्मेलन के दौरान एक घोषणापत्र जारी किया और कहा कि हमारे मदरसे कभी भी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में शामिल नहीं पाए गए। इसलिए मीडिया को भी मदरसों के प्रति सकारात्मक रुख रखना चाहिए। मदरसे खुली किताब हैं और उनके दरवाजे हमेशा सबके लिए खुले हैं। मीडिया को मदरसों के बारे में अपनी सोच बदलनी चाहिए।
ग़ौरतलब बात ये है कि देवबंद बैठक के बाद हैदराबाद के सांसद और एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की मदरसा राजनीति को बड़ा झटका लगा है. दारुल उलूम देवबंद में मदरसा संचालकों के साथ बैठक में मदरसों के सर्वेक्षण में सहयोग करने के निर्देश दिए गए हैं।