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वुहान में कोरोनावायरस को नियंत्रित करने वाले अधिकारी को चीन ने बंदी बनाया

वुहान में कोरोनावायरस को नियंत्रित करने वाले अधिकारी को चीन ने बंदी बनाया चीन के वुहान से फैलने वाले कोरोनावायरस ने दुनिया भर में हाहाकार मचा रखा है।

वुहान में जब कोरोना अपने चरम पर था तो चीन ने एक अधिकारी की यहां पर नियुक्ति की थी। वुहान बुरी तरह से कोरोना की चपेट में था और ऐसे में चीन ने हालात को नियंत्रित करने के लिए जिस अधिकारी को वुहान लैब का दौरा करने के लिए भेजा था अब उसे बंदी बना लिया गया है।

चीन के यह वरिष्ठ अधिकारी हैं सुन लीजुन, सार्वजनिक सुरक्षा मामलों के पूर्व मंत्री सुन लीजुन को रिश्वत लेने के आरोप में बंदी बना लिया गया है। सितंबर में उन्हें कई आरोप लगने के बाद कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना से भी निष्कासित कर दिया गया था।

उन पर आरोप लगाए गए थे कि जिस समय देश में महामारी की समस्या से जूझ रहा था उन्होंने अपना पद छोड़ दिया था जिसके चलते उन पर 1 साल से अधिक समय तक जांच चलती रही। सुन पर बिना किसी अधिकारिक मंजूरी के गोपनीय सामग्री रखने के आरोप लगाते हुए कहा गया था कि जब फ्रंट लाइन पर रहते हुए कोरोनावायरस के खिलाफ जंग लड़नी थी तब उन्होंने अपना पद छोड़ दिया था।

वह लंबे समय से अंधविश्वासी गतिविधियों में उलझे रहे थे तथा उन्होंने बिना किसी मंजूरी के अपने पास गोपनीय सामग्री रखी थी। सार्वजनिक सुरक्षा मामलों के पूर्व मंत्री सुन लीजुन पर आरोप लगाए गए थे कि वह बेहद राजनीतिक महत्वाकांक्षा पाले हुए थे तथा पार्टी के आदर्शों के प्रति समर्पित नहीं थे। वह राजनीतिक अखंडता को लेकर भी सही नहीं थे तथा उन्होंने कई अफवाहें फैलाई और पार्टी की नीतियों की आलोचना की।

बंदी बनाए गए इस कम्युनिस्ट नेता के खिलाफ कई आरोप लगाए गए हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के माने तो कहा जा रहा है कि जिस वक्त हालात बेहद खराब थे और महामारी से लड़ने के लिए गंभीरता के साथ मोर्चा संभालना चाहिए था उन्होंने अपने पद को छोड़ दिया। सुन को गिरफ्तार कर लिया गया है ताकि वह धन संपदा एवं खाद्य सामग्री से लेकर बड़ी मात्रा में अपनी गैर कानूनी गतिविधियों के अपराध को स्वीकार करें।

मिडिया रिपोर्ट्स की माने तो वह इन सभी आरोपों को स्वीकार कर लेंगे , लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि जब वह लंबे समय से ऐसी गतिविधियां चला रहे थे तो उनकी अनदेखी क्यों की गई है और अब उन पर किस लिए शिकंजा कसा जा रहा है ?

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