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अमेरिका की लूट के जवाब में ईरान ने यूनान के ऑयल टैंकर्स क्यों पकडे?

Iranian soldiers take part in the "National Persian Gulf day" in the Strait of Hormuz, on April 30, 2019. Photographer: Atta Kanare/AFP/Getty Images

अमेरिका की समुद्री लूट के जवाब में ईरान ने यूनान के ऑयल टैंकर्स क्यों पकडे?

ईरान ने फारस की खाड़ी में यूनान के दो ऑयल टैंकर्स को क़ानून और नियमों के उल्लंघन का हवाला देते हुए रोक लिया था जिस के बाद से ही अमेरिका और उसके सहयोगी देश ईरान के खिलाफ प्रोपैगंडा वॉर में लगे हुए हैं.

ईरान की ओर से यूनान के दो ऑयल टैंकर्स को रोकने के पीछे भी एक कहानी है. सच तो यह है कि ईरान का यह क़दम अपने उस हक़ को वापस लेने की कार्रवाई है जो यूनान ने अमेरिका के कहने पर लूट लिया था. जिसकी ओर इमाम खुमैनी की बरसी पर अपने पैग़ाम में आयतुल्लाह ख़ामेनई ने भी इशारा किया था.

ईरान की इस्लामी क्रांति के जनक इमाम खुमैनी की तैंतीसवीं बरसी पर, इस्लामी इंक़ेलाब के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह ख़ामेनई ने इंक़ेलाबी, सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्र में काम करने वालों से मनोवैज्ञानिक युद्ध के क्षेत्र में दुश्मन के धोखे और झूठ का पर्दाफाश करने की अपील करते हुए यूनान के तट पर ईरान के लुटे गए ऑयल टैंकर का ज़िक्र किया था.

“ग्रीस के साहिल से ईरान का तेल चोरी कर लेते हैं. लूट लेते हैं. हमारे तेल को चोरी कर लेते हैं. बाद में हमारे जांबाज़ फौजी इस का जवाब देते हैं और दुश्मन के ऑयल टैंकर्स को ज़ब्त कर लेते हैं तो वह अपने मीडिया एम्पायर के सहारे ईरान के खिलाफ दुनिया भर में प्रोपेगंडा छेड देते हैं और ईरान पर चोरी का इल्ज़ाम लगाते हैं.
चोर कौन है? तुमने हमारा तेल चुराया, हमने तुमसे अपना हक़ वापस लिया है. चोरी का माल वापस छीन लेना तो चोरी नहीं है. चोर तुम हो ! अमेरिका यूनान सरकार को हुक्म देता है, यूनान सरकार भी सर झुकाते हुए हमारा रेल चुरा लेती है”.

ईरान ने ग्रीस सरकार के माध्यम से अमेरिका की समुद्री लूट के जवाब में यूनान के दो ऑयल टैंकर्स को ज़ब्त कर लिया. जिसके बाद पश्चिमी मीडिया ने ईरान के खिलाफ आरोप लगाते हुए मनोवैज्ञानिक युद्ध छेड़ते हुए दुनिया को भ्रमित करना शुरू कर दिया है. पश्चिमी जगत आखिर अपने मीडिया एम्पायर के सहारे ईरान के खिलाफ साइकोलॉजिकल वॉर छेड़ कर क्या हासिल करना चाहता है ?

अमेरिका और उसके सहयोगी अपने मीडिया एम्पायर के सहारे क्या मक़सद हासिल करना चाहते हैं इसे समझने के लिए बहुत अधिक विश्लेषण और ध्यान देने कि ज़रूरत नहीं है. वेस्टर्न मीडिया ने हमेशा ही ईरान को निशाने पर रखा है. अमेरिका और उसके सहयोगी ईरान को आतंकवाद का समर्थक देश बताते हैं तथा ईरान को एक दुष्ट देश बताते हैं. इसलिए घटना कोई भी हो वेस्टर्न मीडिया ईरान पर कीचड़ उछालने लगता है. आज भी यही रणनीति अपनाई जा रही है. तेहरान का माल चोरी हुआ है यह जानते हुए भी अमेरिका और वेस्टर्न मीडिया इसकी अनदेखी कर रहा है.

ईरान ने जो कुछ किया सच्चाई यह है कि अपने उस हक़ को वापस पाने के लिए किया जो यूनान ने अमेरिका के हुक्म से चुरा लिया था. अमेरिका ने यूनान के माध्यम से ईरान का तेल चुराया था. अतः यूनान के दो ऑयल टैंकर्स को रोकने के बारे में हमे वेस्टर्न मीडिया के प्रोपगंडे के जवाब में पहले यूनान द्वारा अमेरिका के इशारे पर ईरान का तेल लूटने की घटना को बताना होगा.

अमेरिका समेत ईरान के दुश्मन देश हमेशा ही ईरान और प्रतिरोधी दलों के खिलाफ साइकोलॉजिकल वॉर छेड़े रहते हैं. यूनान के ऑयल टैंकर्स को ज़ब्त करने के बाद भी अमेरिका और उसके सहयोगियों के बयानों को आयतुल्लाह ख़ामेनई ने साइकोलॉजिकल वॉर का हिस्सा बताया है.

अमेरिकी प्रोपेगंडा फ़ैलाने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं. इनमे से लोगों को भ्रमित करना और झूठे आरोप मंढ़ना भी है. अमेरिकी और वेस्टर्न मीडिया भूमध्य सागर में ईरान के माल पर अमेरिका के डाके की खबरों की ओर लोगों के जहां पहुँचने ही नहीं देना चाहते और वह उन्हें भटकाने की नीति पर काम कर रहे हैं. वह असल घटना को बयान ही नहीं करते. वह नहीं बता रहे कि असल घटना उनकी हरकत के कारण हुई और ईरान ने सिर्फ उनकी हरकत का जवाब दिया है.

उनकी दूसरी रणनीति इस घटना से ईरान की छवि को धूमिल करना है. यह सब ईरान के खिलाफ अमेरिका और पश्चिमी जगत के प्रोपैगंडा और साइकोलॉजिकल वॉर का हिस्सा है. वह जिस देश के हक़ पर डाका डालते हैं उसके खिलाफ यही चालें चलते हैं.

अमेरिका और पश्चिमी जगत की स्ट्रैटीजी यही है कि वह अपने मीडिया एम्पायर के ज़रिये मज़लूम को ज़ालिम बना कर पेश करते हैं कि उसने जो काम किया है वह अतिक्रमणकारी था. वह इस काम के ज़रिये लोगों का ब्रेन वॉश करना चाहते हैं ताकि विश्व बिरादरी को ईरान से दूर रख सकें और तेहरान को अन्य देशों के निकट जाने के अवसर कम हो सकें.

अमेरिका और वेस्टर्न मीडिया के दुष्प्रचार के जवाब में हमे सच्ची घटना को अलग अलग प्लेटफार्म से दुनिया के सामने रखना होगा. हमे पारंपरिक मीडिया और मॉस कम्युनिकेशन प्लेटफार्म के ज़रिये ठोस सुबूत और तर्कों के साथ अपनी बात रखना होगी. यह बहुत कठिन काम नहीं है. हालाँकि वेस्टर्न मीडिया के संसाधन ईरान के मुक़ाबले बहुत ज़्यादा है लेकिन तेहरान की सबसे बड़ी ताक़त झूठ के मुक़ाबले सच्चाई है. दुश्मन कितना भी शोर मचाए, चाहे जो इल्ज़ाम लगाए लेकिन अंत में सच्चाई सामने आकर ही रहेगी. “बेशक शैतान के हीले और धोखे बहुत कमज़ोर हैं”.

यूनान के ऑयल टैंकर्स को ज़ब्त करने की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स ने के बार फिर दिखा दिया है कि ईरान किसी अन्य देश के भरोसे नहीं वह पूरी तरह आज़ाद है और अपनी आज़ादी की हिफाज़त करने की ताक़त भी रखता है.वह आयतुल्लाह ख़ामेनई के नेतृत्व में अपनी जनता के भरोसे है. जिन देशों के फैसले दूसरे देशों के भरोसे होते हैं वह आईआरजीसी बल जैसा क़दम नहीं उठा सकते.

यूनान ने जब ईरान के ऑयल टैंकर को रोका तभी इस बात का अंदाज़ा लगा लिया गया था कि तेहरान इसका जवाब देगा. वह दशकों से ईरान के खिलाफ की जा रही अमेरिका की ऐसी नीच हरकत पर चुप नहीं बैठेगा.
यूनान कि घटना की तरह ही अमेरिकी और वेस्टर्न मीडिया अधिकांश घटनाओं को तोड़ मरोड़ कर पेश करते हैं ताकि विश्व बिरादरी में समर्थन जुटा सकें और लोगो का ब्रेन वाश कर सकें.

इसका सबसे अहम कारण यह है कि अमेरिका और उसके सहयोगियों को ईरान और प्रतिरोधी मोर्चे के आगे पिछले कुछ वर्षों में हर मोर्चे पर नाकामी मिली है. अब अमेरिकी गठबंधन अपने मीडिया एम्पायर के सहारे ईरान के खिलाफ एक और मोर्चा खोल चुका है और उसे यहाँ भी नाकामी का सामना होगा.

ब्रिटेन ने ईरान के तेल पर डाका डाला तो आईआरजीस बल ने 19 जुलाई 2019 में ब्रिटेन के STENA IMPERO नामक ऑयल टैंकर को रोक लिया था. अब अमेरिका ने फिर यही गलती दोहराई है तो ईरान की ओर से 3 साल पहले दिए गए जवाब से भी तगड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिली है. ईरान ने इस बार एक के जवाब में दो ऑयल टैंकर्स ज़ब्त किये हैं.

ईरान ने इस बार अलग हालत में जवाब दिया है क्योंकि अमेरिका और उसके साथी देश ईरान पर परमाणु वार्ता और सऊदी अरब के साथ क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा के नाम पर दबाव बनाए हुए हैं. वह इन घटनाओं के ज़रिये ईरान पर दबाव बनाना चाहते थे. इसलिए ज़रूरी था कि ईरान इन हरकतों का जवाब बेहद कड़ाई से दे ताकि वेस्टर्न ब्लॉक ईरान पर दबाव बनाने की अपनी क्षमताओं को जांच ले.

ईरान के इस कड़े जवाब से अमेरिकी ख़ैमे को सीधे सीधे एक संदेश तो मिल गया है कि अब अतीत की तरह ईरान से कोई फिरौती नहीं वसूली जा सकती. ईरान का सही समय पर शक्ति प्रदर्शन इस देश के हितों की रक्षा के लिए बहुत लाभकारी होगा.

ऐसा लगता है कि ईरान सरकार और वहां के ज़िम्मेदार अधिकारी पिछले कई वर्षों से अमेरिकी ब्लॉक द्वारा की गई वादा खिलाफियों के बाद शक्ति प्रदर्शन का कोई मौक़ा हाथ से नहीं जाने देंगे.

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