युद्ध पीड़ितों पर पश्चिम का दोहरा मापदंड, एंजेलिना जॉली ने उठाए सवाल
डोनबास दोनेत्स्क जैसे रूसी मूल में निवासियों की बहुलता वाले हिस्सों में यूक्रेन के 2014 से जारी अत्याचारों और लगभग 14000 लोगों की हत्या तथा रूस की सीमा तक नाटो को पहुँचाने जैसी साज़िशों की बात करते हुए रूस ने यूक्रेन के खिलाफ सैन्य अभियान शुरू किया हुआ है।
यूक्रेन के खिलाफ रूस की कार्रवाई को अभी 10 दिन भी नहीं हुए लेकिन पूरा पश्चिमी जगत और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं रूस के खिलाफ प्रोपैगंडा वॉर और यूक्रेन की बर्बादी और आम जनमानस के पलायन की दुहाई देते हुए दुनिया को सर पर उठाए हुए है।
अभी तक यूक्रेन से लाखों लोग पलायन कर गए हैं जो किसी भी अवस्था में सही नहीं ठहराया जा सकता लेकिन यूक्रेन संकट से पहले ही 82 मिलियन से अधिक लोग युद्ध और अराजकता के कारण अपना घर और देश छोड़ने को विवश हुए हैं कभी मीडिया ने इस पर क्यों आवाज़ नहीं उठाई तब क्यों मानवता नहीं जागी ?
आज हर ओर से युद्ध विरोधी और मानवता प्रेमी आवाज़ें आ रही हैं लेकिन यही पश्चिमी जगत और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं लीबिया , सीरिया , इराक , अफ़ग़ानिस्तान , और पिछले 7 साल से अधिक समय से अमेरिका और साम्राज्यवाद प्रायोजित सऊदी अतिक्रमणकारी गठबंधन के हमलों का सामना कर रहे यमन के मुद्दे पर एकदम चुप्पी साध लेते है।
सच्चाई तो यह है कि युद्ध किसी समस्या का समाधान नहीं है युद्ध पीड़ित जनता में कोई भेद नहीं है, चाहे वो यमन के नागरिक हों या सीरिया या यूक्रेन के पीड़ित, लेकिन पश्चिमी जगत जिस प्रकार यूक्रेन युद्ध को कवर देते हुए झूटी सच्चे ख़बरें परोस रहा है उसके बिल्कुल विपरीत उसने कभी यमन, अफ़ग़ानिस्तान ,इराक, लीबिया या सीरिया को लेकर कवरेज देना भी ज़रूरी नहीं समझा।
यूक्रेन संकट पर मीडिया कवरेज और भेदभाव से भी आगे जाते हुए पश्चिमी जगत का मीडिया नस्लवाद पर उतर आया है। मीडिया कवरेज और भेदभाव तथा नस्लवादी टिप्पणियों के खिलाफ एंजेलिना जॉली जैसी हॉलीवुड अभिनेत्री को भी बोलने पर मजबूर होना पड़ा।
जॉली समेत हॉलीवुड के सितारे यूक्रेन युद्ध के मीडिया कवरेज की आलोचना करते हुए कहते हैं कि सीरियाई और यूक्रेनी शरणार्थियों के बीच कोई अंतर नहीं है। यूक्रेन संकट के मीडिया कवरेज और पत्रकारों द्वारा कुछ नस्लवादी टिप्पणियों जिसमे पश्चिमी मीडया ने यूक्रेन संकट को अन्य देशों में अप्रवासी संकट की तुलना में अधिक मूल्यवान और मानवीय देखा, दो प्रमुख अभिनेत्रियों ने इस दृष्टिकोण की आलोचना की है।
अफ़ग़ानिस्तान में भयावह होते हालात और मीडिया के दोगले मापदंडों के बीच इंस्टग्राम पर अफ़ग़ानिस्तान की आवाज़ बुलंद करने के दावों के साथ इंस्टग्राम पर वापसी करने वाली हॉलीवुड की प्रख्यात अभिनेत्री एंजेलिना जॉली ने यूक्रेन संकट के मीडिया कवरेज और पत्रकारों द्वारा कुछ नस्लवादी टिप्पणियों पर कटाक्ष करते हुए कहा
यूक्रेन से अब तक 1 मिलियन लोग पालयन कर चुके हैं, लेकिन यूक्रेन से एक भी नागरिक के जाने से पहले 82 मिलियन लोग युद्ध के कारन घर बार छोड़कर पलायन पर मजबूर हुए हैं। युद्ध शरणार्थियों की संख्या के लिए एक नया रिकॉर्ड ! इन में सबसे बड़ी संख्या सीरिया के युद्ध शरणार्थियों की है, 60 लाख सीरियाई जो पिछले दस साल से दर बदर हैं। म्यांमार से भी दस लाख से अधिक रोहिंग्या समुदाय के लोगों की भी यही हालत है।
एंजेलिना जॉली ने यमन, इथियोपिया, सोमालिया, अफ़ग़ानिस्तान का उल्लेख करते हुए कहा कि इन देशों में भी यूक्रेन संकट से पहले 48 मिलियन लोग विस्थापित हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि “सभी शरणार्थी और विस्थापित व्यक्ति समान व्यवहार और समान अधिकारों के पात्र हैं।
एंजेलिना जॉली के साथ साथ बिफोर डॉन और बिफोर सनसेट जैसी फिल्मों से शोहरत की बुलंदियां छूने वाली फ्रेंच अभिनेत्री जूली डेल्पी ने सीरियन शरणार्थी एवं यूक्रेन से पलायन कर आहे लोगों की साझा तस्वीर शेयर करते हुए कहा कि सीरिया या पश्चिमी देशों के अत्याचारों का शिकार हुए किसी भी देश के पीड़ितों के बीच भेदभाव न करें न उन्हें भूलने दें।
इराक, लीबिया, अफ़ग़ानिस्तान के साथ सीरिया और यमन पिछले काफी समय से पश्चिमी जगत के षड्यंत्रों का शिकार रहे हैं अब तक अकेले सीरिया से साथ लाख लोग विस्थापित हुए हैं वहीँ यमन के हालात और भी बदतर हैं जहाँ लाखों बच्चे कुपोषण और महामारी के कारण काल के कगार पर खड़े हुए हैं।
मौलाई जी