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कुंभ पर मौन से लगता है कि केवल मुस्लिम ही फैलाते हैं कोरोना

kumbh mela 2021: वर्तमान समय में भारत की सच्चाई यह है कि जब कोई अल्पसंख्यक समुदाय अपने धर्म का पालन करता है, ख़ास तौर कोरोना महामारी (Corona Virus) के समय में तो उसको दुर्भावनापूर्ण रूप में देखा जाता है।

पिछले साल मार्च के महीने में भारत में कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत में मुसलमानों को कोरोना जिहाद जैसा टाइटल दिया गया था जबकि उनमे सिर्फ़ 3,000 से विदेशी नागरिक थे जिनके पास तबलीगी जमात में भाग लेने के लिए भारत सरकार द्वारा वीजा और अनुमति थी, जो दिल्ली के निजामुद्दीन एकत्रित हुए थे।

एक दूसरा उदाहरण किसानों के विरोध प्रदर्शन के तहत इस साल 26 जनवरी को लाल किले पर निशान साहब ’का झंडा फहराने का है। हालाँकि ये काम प्रदर्शनकारियों के एक समूह द्वारा किया गया जो कि गैरकानूनी था, फिर भी भारत सरकार और मीडिया ने किसानों को भारत को विभाजित करने के लिए ‘खालिस्तानी आतंकवादियों’ के रूप में ब्रांडेड किया

ग़ौरतलब बात ये है कि अब कोरोना महामारी की दूसरी लहर में पिछले साल की तुलना में कोरोना के मामले तेज़ी से बढे हैं ऐसे समय में हम हरिद्वार में महाकुंभ के लिए एकत्रित हुए लाखों लोगों को देख रहे हैं।

महाकुंभ अंतिम बार 2010 में आयोजित किया गया था। उसके बाद इस साल ग्यारह साल के बाद फिर से महाकुंभ मनाया जा रहा है जहाँ पर लाखों लोग एकत्र हुए हैं जिनका एकत्रित होना देश में कोरोना महामारी का नया रूप ले सकता है

शुक्रवार को मथुरा में बांके बिहारी मंदिर जहां बिल्कुल कोविद-19 के दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया गया लोगों का एक विशाल जमावड़े को अधिकारियों द्वारा अनुमति दी गई थी। जबकि मथुरा जिले के सीएमओ ने एएनआई से जोर देकर कहा कि सभी मंदिरों और धर्मशालाओं में कोविद प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए कहा गया था, मंदिर से आने वाले वीडियो एक अलग कहानी बता रहे हैं।

तबलीगी जमात के निज़ामुद्दीन मरकज़ में जमा होने पर कोरोना जिहाद कहने वाले मीडियाकर्मी अब अपनी आवाज खोते दिख रहे हैं। ऐसा लगता है जैसे कि केवल मुसलमान ही कोरोनोवायरस को फैला रहे हैं

हरिद्वार में कुंभ के स्नान के लिए एकत्रित हुए लोग चाहे अपने को कितना भी धार्मिक कहें और समझे उसको किसी तरह से भी धार्मिक नहीं कहा जा सकता क्योंकि धर्म भी इतनी खतरनाक महामारी के दौरान इतने लोगों का एक जगह एकत्रित होने को नहीं कहता है

सभी लोग जानते हैं कि यह एक महामारी है और इससे इंसानों की जान खतरे में है इसके बावजूद अगर वे कोविद प्रोटोकॉल को तोड़ें तो, तो यह उनकी असंवेदनशीलता को दर्शाता है। और अगर मुस्लमान भारत के विजे के साथ भारत में आए और एक जगह एकत्रित हों तो मीडिया मुसलमानों को कोरोना जिहाद का टाइटल देते है और अब जब हरिद्वार में कुंभा का स्नान के लिए लाखों लोग जमा है और वहां से आई वीडियो में साफ तौर से देखा जा सकता है कि वहां पर लोग मास्क लगाए हुए है और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का ख़्याल करे हैं

आज हमारी मीडिया गलत तरीके से कुछ चीज़ों को दिखाती है किसी को आस्था का नाम देती है तो किसी को कोरोना जिहाद के टाइटल से याद करती है ।

वास्तव में सत्य से अधिक मुक्तिदायक कुछ नहीं है। और सच्चाई यह है कि भारत में सांप्रदायिकता के नुकीलेपन को गहराई से खोदा जा रहा है जिसको आप अच्छी तरह से देख रहे हैं ।

सोर्स: द प्रिंट डाट इन

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): ये लेखक के निजी विचार हैं। आलेख में शामिल सूचना और तथ्यों की सटीकता, संपूर्णता के लिए IscPress उत्तरदायी नहीं है।

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