सऊदी अरब यमन के जवाबी हमलों से बेहाल, तेल की कीमतों में आएगा उबाल
पिछले 7 साल से यमन पर बर्बर हमले कर रहा सऊदी अतिक्रमणकारी गठबंधन यमन के जवाबी हमलों से पस्त नजर आने लगा है।
यमनी बलों के जवाबी हमलों ने आले सऊद की नींदे उड़ा कर रख दी हैं। पिछले 7 साल से यमन विश्व समुदाय की चुप्पी और आले सऊद के बर्बर हमलों के कारण भीषण मानवीय संकट का सामना कर रहा है।
आले सऊद गठबंधन ने यमन की चारों ओर से नाकेबंदी कर रखी है जिस कारण यह देश इस सदी की सबसे बड़ी मानवीय त्रासदी के दहाने पर खड़ा है। आले सऊद के बर्बर हमलों के कारण अब तक हजारों लोग अपनी जान से हाथ धो चुके हैं वहीं लाखों लोग विस्थापित हुए हैं । संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार यमन में 5 मिलियन से अधिक बच्चे गंभीर रूप से कुपोषण का शिकार हैं।
दूसरी और रूस यूक्रेन संकट के कारण पश्चिमी जगत में उपजे तेल संकट के कारण अब यमन का भी उल्लेख होने लगा है। रूस यूक्रेन युद्ध के कारण पूरी दुनिया में तेल की कीमतों में अभूतपूर्व उछाल आया हुआ है। आसमान छूती तेल की कीमतों का असर अब आम आदमी की जेब पर भी पड़ने लगा है।
कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों का जिम्मेदार सिर्फ रूस और यूक्रेन युद्ध ही नहीं है बल्कि सऊदी अरब की तेल फैसिलिटी पर यमन के जवाबी हमलों ने भी बाजार में तेल की कीमतों में अभूतपूर्व उछाल लाने का काम किया है। रूस से कच्चे तेल के आयात पर प्रतिबंध लगाने और सऊदी तेल फैसिलिटी पर यमन के जवाबी हमलों को लेकर यूरोपीय संघ ने बैठक की तो उससे तेल कीमतें एक बार फिर आसमान छूने लगी।
प्रमुख तेल उत्पादक देश सऊदी अरब ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर सऊदी तेल फैसिलिटी पर यमन के जवाबी हमले इसी तरह जारी रहे तो वैश्विक आपूर्ति के लिए सीधा खतरा उत्पन्न हो जाएगा। सऊदी अरब के इस बयान के बाद एक बार फिर बाजार में कच्चे तेल की कीमतें बढ़ गई। ब्रेंट नार्थ सी क्रूड 6 पॉइंट1 प्रतिशत पढ़कर 114 पॉइंट 55 डॉलर प्रति बैरल हो गया।
यमन के जवाबी हमलों से तिलमिलाए सऊदी अरब की इस टिप्पणी से पहले ही कॉमर्स बैंक के विश्लेषक कार्टसन फ्रिट्स ने कहा था कि कारोबार का नया सप्ताह शुरू होते ही तेल की कीमतें काफी बढ़ गई हैं। उन्होंने कहा था कि तेल की कीमतों में उछाल का कारण यह है कि यूरोपीय संघ रूस से तेल आयात पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहा है। यूरोपीय संघ के विदेश मंत्री उन देशों के साथ चर्चा करने के लिए जमा हुए हैं जो रूसी तेल पर प्रतिबंध लगाने के लिए दबाव डाल रहे हैं, जबकि जर्मनी रूसी गैस पर अपनी निर्भरता के कारण इस कदम का समर्थक नहीं है। वहीं दूसरी ओर रूस ने भी चेतावनी दी है कि अगर उसके तेल निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जाता है तो इससे सब प्रभावित होंगे।
वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में उछाल का एक महत्वपूर्ण कारण अतिक्रमणकारी सऊदी गठबंधन के खिलाफ यमन के जवाबी हमले भी हैं। सऊदी अरब की तेल कंपनी अरामको से संबंधित रिफाइनरी पर यमनी बलों ने एक के बाद एक कई जवाबी हमले किए हैं जिसके कारण कीमतों में उछाल आया है।
हरग्रीव्स लैंसडाउन के वरिष्ठ निवेश और बाजार विश्लेषक सुसानह स्ट्रीटर के अनुसार रूस यूक्रेन युद्ध के इतर, एक और कारण जो तेल कीमतों में उछाल को लेकर घबराहट बढ़ा रहा है यमन और सऊदी अरब युद्ध है। यह पुराण संघर्ष भी तेल कीमतों में वृद्धि का कारण है। यामी बल एक के बाद एक कई सऊदी रिफाइनरी पर हमला कर चुके हैं हालांकि आधिकारिक तौर पर यह एक अस्थाई मामला है लेकिन फिर भी आने वाले वर्षों में सऊदी तेल उत्पाद बढ़ाने की सऊदी प्रतिबद्धता को इसने बेहद प्रभावित किया है।
बता दें कि हाल ही में यमनी बलों ने लाल सागर के तट पर स्थित यंबू औद्योगिक शहर में स्थित रिफाइनरी पर ड्रोन हमले किए थे जिससे तेल उत्पादन में भारी कमी आई थी। सऊदी ऊर्जा मंत्रालय ने अपने औद्योगिक शहर में स्थित रिफाइनरी पर ड्रोन हमलों की पुष्टि करते हुए कहा था कि इससे रिफाइनरी के उत्पादन में कमी आई है। हालाँकि यमनी बलों के सऊदी के जीजान और कई अन्य ठिकानों पर किए गए ड्रोन हमलों को विफल बनाने का सऊदी सरकार ने दावा किया था।
यमन के जवाबी हमलों से सन्नाटे में आए सऊदी अरब ने विश्व समुदाय को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर यमन के हमले इसी तरह जारी रहे तो विश्व समुदाय को तेल आपूर्ति बाधित होगी, जो एक बार फिर वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के डर को बढ़ावा दे रही है। सऊदी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि यमन के जवाबी हमलों के नतीजे में विश्व बाजार में तेल आपूर्ति में अगर कमी आती है तो सऊदी अरब इसके लिए जिम्मेदार नहीं है।