मुसलमानों के मौजूदा हालात

नोट- आर्टिकल थोड़ा बड़ा है लेकिन अगर आप कुछ अच्छा पढ़ने के शौकीन है तो जरूर पढ़िए मुझे उम्मीद है आप लोगो को पसंद आयेगा..
जो भी गलतियां हों कमेंट बॉक्स में जरूर लिखे और अपने सुझाव जरूर दे..?

गुलशितां को लहू की जरूरत पड़ी
सबसे पहले ही गर्दन हमारी कटी
फिर भी कहते हैं मुझसे ये अहले वतन
ये चमन है हमारा तुम्हारा नहीं…

आइए अपनी बात को कुछ सवालों से शुरू करते हैं..
?हम कौन हैं?
?हमने वतन के लिए क्या किया है?
?आज ये हालात हमारे क्यूं और कैसे है?

⏩ हम कौन है इसका सीधा सा जवाब ये है कि हम भारतीय है, मुसलमानों में लगभग 99.5% लोग मूल भारतीय है जो धर्म परिवर्तन करके इस्लाम को कुबूल किया, कुछ ने धार्मिक प्रताड़ना से छुटकारा के लिए तो कुछ ने इस्लाम की अच्छाई देख कर धर्म परिवर्तन किया, धर्म कोई भी हो हमारी जन्म भूमि तो भारत है ना फिर हमसे हर बार सबूत क्यूं मांगा जाता है, या यूं कहे कि हम अपने भारतीय होने का सबूत क्यूं देते है कभी पाकिस्तान को तो कभी चीन को तो कभी इस्लामिक मुल्कों को गाली देकर..?
ये कौन होते हैं हमसे हमारे वजूद का सबूत मांगने वाले?
कभी सुना है कि आपका पड़ोसी आपको कहे की फला बात अपने अब्बू के बारे में बोलो तभी तुम उनके औलाद माने जाओगे.?
नहीं ना फिर अपना सबूत देना बन्द करो जिसे मानना है माने नहीं तो भाड़ में जाए..!

⏩ हमने वतन के लिए क्या किया, ये सवाल वाकई बहुत जरूरी है जो आज की जनरेशन को जानना बहुत जरूरी है, हमारे असलाफ इस देश को हमेशा जोड़ने की कोशिश करते रहे, अकबर का जोधाबाई से निकाह करना हिन्दू मुस्लिम एकता का प्रतीक है, हज़रत टीपू सुल्तान का दलित आदिवासियों की औरतों को छाती ढकने का अधिकार देना और देश को पहला रॉकेट देना,
औरंगजेब रहमतुल्लाह अलैे: जैसे किसी ने हुकूमत नहीं किया..
मुगलों द्वारा आलीशान महलों किलो और रोडो का तामीर करवाना जो आज भी देश की शान है और देश की हर हुकूमत इन तामीरो पे इतराती है और भारत को दुनिया में टूरिज्म का अलग मुकाम दिलाती है, ये सब मुसलमानों कि देन है जिसे चाह कर भी नकारा नहीं जा सकता…
जंगे आज़ादी से लेकर आज तक चाहे वो पाकिस्तान से लड़ते वक़्त वीर अब्दुल हमीद की शहादत हो या ब्रिगेडियर उस्मान द्वारा कश्मीर को पकिस्तान से छीनना, मेरठ और देवबंद के पेड़ों पे हजारों उलमाओं का फासी पे लटकना हो या अशफाकुल्लाह खान का फैजाबाद की जेल में हस्ते हुवे फांसी के फंदे को चूमना, हर जगह हम थे, और आज भी कलाम साहब के रूप में मिसाइल मैन, अज़ीम प्रेम, बिस्मिल्लाह खान, ए आर रहमान, शाहरुख खान, सलमान खान, आमिर खान, अजहरुददीन, जहीर खान, इरफान और युसुफ पठान और मोहम्मद शमी के रूप में हजारों लाखों लोग है जो देश का नाम रोशन कर रहे हैं…और दुनिया इन सबका लोहा मानती है..!!

और आते हैं सबसे जरूरी सवाल और उसके जवाब पे,

⏩ हमारी आज ये हालत क्यूं और कैसे है?
तो इसका जवाब मेरी नजरो में ये है कि हमारा सियासत में पिछले पायदान पे होना ही हमारे हालात का जिम्मेदार है..

आइए देखते हैं कैसे?

आज़ादी से पहले और बाद में देश में मुस्लिम लीडर्स उरूज़ पे थे तब देश में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जामिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी, उस्मानिया यूनिवर्सिटी हैदराबाद, जामिया हमदर्द यूनिवर्सिटी, मौलाना अबुल कलाम यूनिवर्सिटी जैसे शैक्षणिक संस्थान बनाए गए जो सियासत के ऊंचे पायदान पे रहने के बाद ही मुमकिन हो पाया था..!
आज ना आपकेे हाथ में कयादत है और ना ही ऊंचे ओहदे फिर हमारी कौन सुनेगा..
आजादी के बाद से लगातार देश में कांग्रेस ने शासन किया है जो खुद को सेक्युलर पार्टी मानती है, लेकिन क्या वाकई में कांग्रेस पार्टी सेक्युलर है इसका जवाब लेने के लिए आपको अतीत का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा,
2006 में मनमोहन सिंह साहब की सरकार सच्चर कमेटी का गठन करती है और देश में मुसलमानों की मौजूदा स्थिति जानने की कोशिश करती है और रिपोर्ट का सारांश ये निकलता है कि मौजूदा हालत में देश के मुसलमानों के हालात दलित और आदिवासियों से बदतर है..
क्या ये हालत आज़ादी के वक़्त थे? जवाब है जी नहीं,
इसका मतलब लगातार मुसलमानों का शोषण आर्थिक और राजनीतिक तौर पे किया गया..
और किसने किया तो जवाब में आपको अपनी सेक्युलर पार्टी ही नजर आएगी.
बीजेपी और गैर कांग्रेसी सरकारों को हटा दिया जाए तो लगभग 55 साल कांग्रेस ने देश में राज किया उसका असर ये हुआ कि मुसलमान दलितों से बदतर पायदान पे चला गया, आज देश के लगभग हर राज्य में सरकारी नौकरियों में मुस्लिम मुश्किल से 5-8% होगा लेकिन जेलों में 30-40 परसेंट मुस्लिम नौजवान है..!!
कभी दंगो के नाम पे, कभी आतंक के नाम पे तो कभी बगावत के नाम पे वक़्त बे वक़्त जेलों में ठूसा गया, वोट आपसे लिया गया लेकिन हिस्सेदारी के नाम पे आपको झुनझुना पकड़ा दिया गया….
आज भी कई मुस्लिम नेता हैं जो सेक्युलर पार्टियों का हिस्सा हैं और कौम के लिए

कुछ करने की कोशिश करते हैं लेकिन उनके ऊपर बैठे जिम्मेदारों द्वारा उन्हें खामोश कर दिया जाता है उदाहरण के तौर पे आजम खान साहब को लेे लीजिए..जिंदगी भर सपा के लिए ईमानदारी से काम करते रहे और कौम के लिए यूनिवर्सिटी भी बनाया लेकिन आज जब उन् पर गलत मुकदमे लगा कर कैद कर लिया गया तब उनकी पार्टी ने उनसे पूरी तरह किनारा कस लिया या यूं कहे उन्हें तेजपत्ता की तरह इस्तेमाल करके फेक दिया गया…
मरहूम मौलाना असरारुल हक साहब का ट्रिपल तलाक बिल के बाद बयान है की मै इस बिल की मुखालिफत करना चाहता था लेकिन मुझे मेरे पार्टी द्वारा रोक दिया गया था…
इससे आप कांग्रेस की ओर दूसरी सेक्युलर पार्टियों की मुसलमानों के लिए हमदर्दी को नाप सकते हैं..!!

आखिर में बस यही कहूंगा कि जब तक अपनी कयादत नहीं कायम करोगे तब तक इसी तरह आर्थिक और राजनीतिक तौर पे बायकॉट किए जाओगे और मौजूदा सरकार मुसलमानों को दोयम तबके का नागरिक बनाने के लिए कबसे जद्दोजहद कर रही है…
इसलिए अभी भी वक़्त है आइए मिलकर कौम और मिल्लत को आगे बढ़ाए और आने वाली नस्लों को गुलामी के फंदों से आज़ाद करें…

जालिमों अपनी किस्मत पे नाजां ना हो,
दौर बदलेगा ये वक़्त की बात है,
वो यकीनन सुनेगा सदाएं मेरी,
क्या तुम्हारा खुदा है हमारा नहीं..!!

शुक्रिया

✍️ दाऊद खान  की क़लम से

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