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पाकिस्तान, मंदिर नहीं, महान संत का समाधि स्थल तोडा गया + वीडियो

पकिस्तान में महान संत के समाधि स्थल को तोड़ डाला गया है इस तरह की निंदनीय कृत्य पाकिस्तान की छवि के साथ साथ समुदाय विशेष की छवि भी खराब कर रहे हैं जब भी कभी अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन कहीं होता है तो बुद्धिजीवी वर्ग को तकलीफ पहुंचती है क्योंकि संख्या बल पर किसी के अधिकारों का हनन किसी भी धर्म में जायज नहीं बताया जा सकता।
इसे विडंबना कहें या लोगों में जानकारी का अभाव कि जिस महान संत की भक्ति की चर्चा पाकिस्तान में होती रही, उस संत को शहर के लोग ही नहीं जानते। महाराजगंज से बीजेपी सांसद जर्नादन सिंह सिग्रीवाल लोकसभा के मानसूत्र सत्र में पाकिस्तान में मौजूद संत के क्षतिग्रस्त मंदिर के पुनः निर्माण की पहल करने की मांग उठाकर उन महायोगी संत को देश ही नहीं विश्वपटल पर ले आए थे। यहां चर्चा हो रही है, ब्रह्मआश्रम सह विद्यालय के संस्थापक गुरु परमहंस दयाल जी अद्वैतानंद जी महाराज की।
जानिए कहां के हैं ये संत…
– इनकी भक्ति और योग की शक्ति को पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने भी स्वीकार किया था।
– कोर्ट ने 4 अप्रैल 2015 को अपने एक आदेश में पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के कारक जिला के टेरी में चरमपंथियों द्वारा क्षतिग्रस्त उनकी समाधि पर बने मंदिर को प्रशासनिक देखरेख में पुनः निर्माण कराने को कहा था। इस आदेश के बाद भी पाकिस्तान सरकार ने संत के मंदिर निर्माण में रुचि नहीं दिखाई।
दहियावां में जन्मस्थल रहा है परमहंस दयाल जी का
– स्वामी जी का जुड़ाव छपरा शहर से है। करीब 170 वर्ष पूर्व यहीं के दहियावां मुहल्ले के एक ब्राह्मण परिवार में उनका जन्म 1846 ई. में हुआ था।
– जन्म के आठ माह बाद माता और पांच वर्ष बाद पिता तुलसीनाथ पाठक का देहांत हो गया था।
– यहीं से वैराग्य पथ पर अग्रसर संत देश के विभिन्न भागों का भ्रमण कर पाकिस्तान के टेरी पहुंचे थे।
– वर्षों तक लोगों के बीच योग क्रिया का ज्ञान बांटते रहे और वहीं समाधि ले ली। भक्तों ने उनके समाधिस्थल पर ही एक मंदिर का निर्माण कर दिया।
– यह मंदिर 1997 तक यथावत रहा। यहां गुरू परमहंस दयाल जी के पंथ के हजारों अनुयायी दर्शन व आशीर्वाद के लिए नियमित पहुंचते रहे।
– इसी बीच चरमपंथियों ने मंदिर पर हमला कर उसे बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया।
छपरा से पाकिस्तान के टेरी तक संत का सफर
– माता-पिता की मृत्यु के बाद संत 17 वर्ष की आयु तक छपरा के नई बाजार में लाला नरहर प्रसाद श्रीवास्तव के पुत्र की तरह उनके साथ रहे।
– उनकी मृत्यु के बाद परमहंस जी दयाल का मन भौतिक जगत से विरक्त हो गया और वे सन्यासी हो गए। छपरा से निकलकर वे कई प्रांतों में गए।
– जयपुर में संत आनंदपुरी के सानिध्य में लम्बे समय तक रहे। यहीं वे दयाल अद्वैतानंद जी महाराज कहे जाने लगे।
– फिर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वाह प्रांत के कारक जिला स्थित टेरी पहुंचे। वहां स्वामी जी ने कृष्ण युग के योग शक्ति ज्ञान से अनुयायियों का परिचय कराया।
– अंत में उन्होंने अपनी गद्दी परमशिष्य स्वरूपानंद जी महाराज को सौंपा और 10 जुलाई 1919 को समाधि ले ली।
क्या है पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय का आदेश

– पाकिस्तान के हिन्दु परिषद के संरक्षक डॉ.रमेश कुमार बकवानी ने वहां के सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी।
– इस याचिका की सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने चरमपंथियों द्वारा क्षतिग्रस्त हिन्दु मंदिर के पुनः निर्माण का आदेश प्रांतीय सरकार को 4 अप्रैल 2015 को दिया था।
– परंतु आज भी मंदिर की जमीन पर वहां के एक धार्मिक कट्‌टरपंथी ने कब्जा जमा रखा है।
अनुयायियों ने सांसद के सामने रखी थी पुनः निर्माण की मांग
– मंदिर के पुनः निर्माण के लिए स्वामी जी के अनुयायी मढ़ौरा निवासी प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ.बीके सिंह व कई अन्य लोग पाकिस्तान सरकार से पत्राचार कर दर्जनों बार आग्रह कर चुके हैं।
– इस बीच मंदिर के पुन: निर्माण के लिए दर्ज मुकदमे की सुनवाई के दौरान पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट का पक्ष में निर्णय भी आया। फिर भी वहां की सरकार ने मंदिर निर्माण की पहल नहीं की।
– डॉ. सिंह के साथ संत के अनुयायियों ने सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल से भी मिलकर केंद्र सरकार के स्तर पर पहल करने की गुजारिश की थी।
अब जिसे लोग मंदिर तोड़े जाने की घटना समझ रहे हैं पाकिस्तान में वह असल में इसी समाधि स्थल को गिरा दिया गया है और पाकिस्तान में धर्म विरुद्ध की गई इस घटना की चारों और निंदा की जा रही है अल्पसंख्यकों के अधिकारों के हनन के अलावा इस्लामिक शिक्षा के भी विरुद्ध है भारत के साथ-साथ दुनिया भर में यह एक बार फिर समाचारों में अपना स्थान बना रहा है।
क्या है घटनाक्रम आइए समझते हैं
पाकिस्तान के ख़ैबर पख़्तूनख़्वाह प्रांत के करक ज़िले में हिंदू संत श्री परम हंस जी महाराज की ऐतिहासिक समाधि को स्थानीय लोगों की एक नाराज़ भीड़ ने ढहा दिया है।
पुलिस ने बताया कि करक ज़िले के एक छोटे से गांव टेरी में भीड़ इस बात को लेकर नाराज़ थी कि एक हिंदू नेता घर बनवा रहे थे और वो घर एक इस समाधि से लगा हुआ था।

करक के ज़िला पुलिस अधिकारी इरफानुल्लाह मारवात ने स्थानीय मीडिया प्रतिनिधि सिराजुद्दीन को बताया कि उस इलाके में कोई हिंदू आबादी नहीं रहती है। स्थानीय लोग इस बात से नाराज़ थे कि जिस जगह पर ये निर्माण कार्य हो रहा था, वो उसे इस समाधि स्थल का ही हिस्सा समझते थे।
उन्होंने बताया कि पुलिस को लोगों के विरोध की जानकारी दी गई थी और वहां पर सुरक्षा इंतज़ाम भी किए गए थे।
इरफानुल्लाह मारवात ने मिडिया को बताया, “हमें विरोध प्रदर्शन की जानकारी थी लेकिन हमें बताया गया था कि ये शांतिपूर्ण रहेगा। हालांकि एक मौलवी ने हालात को भड़काऊ भाषण देकर वहां हालात बिगाड़ दिए। भीड़ इतनी बड़ी थी कि वहां हालात बेकाबू हो गए। हालांकि इस घटना में वहां किसी को कोई नुक़सान नहीं हुआ है। ”
ज़िला पुलिस अधिकारी ने कहा कि वहां हालात नियंत्रण में हैं लेकिन क्षेत्र में स्थिति तनावपूर्ण है। अभी तक कोई केस नहीं दर्ज किया गया लेकिन जो भी इसके लिए जिम्मेदार होगा, उसके ख़िलाफ़ जल्द ही एफ़आईआर दर्ज किया जाएगा।

अली हसनैन आब्दी फ़ैज़

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