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माफ़ीवीर सावरकर हिंदू राष्ट्र के आदर्श नायक!!!

माफ़ीवीर सावरकर हिंदू राष्ट्र के आदर्श नायक!!!, बीते कुछ सालों से भारत की राजनीति में सावरकर पर चर्चा में बढौतरी हुई है जिसके पीछे अहम कारण, ज़्यादातर प्रदेशों और सेंट्रल में BJP की सरकार है, क्योंकि यह पार्टी जिस विचारधारा को मानती है उसको बढ़ावा देने में सावरकर का बहुत योगदान है।

भाजपा समर्थक उसे वीर सावरकर कह कर याद करते हैं इसलिए विरोधी उसे माफ़ीवीर कह कर बुलाते हैं क्योंकि बताया जाता है कि अंग्रेज़ों के सामने उसने माफ़ी मांग ली थी।

उसके राजनीतिक स्टैंड को अधिक बढ़ा कर बताया जाता है जबकि उसके अपराधों और घिनौनी मानसिकता को छिपाने की कोशिश की जाती है, उसके मुस्लिम समाज की महिलाओं के साथ बलात्कार को सही ठहराए जाने को उसकी हिंदू राष्ट्र की चाहत की आड़ में छिपाने का प्रयास किया जाता है।

सावरकर के इसी शर्मनाक विचारधारा और मानसिकता पर रौशनी डालते हुए पत्रकार सिद्धार्थ रामू सावरकर की हिंदू राष्ट्र, मनुस्मृति और मुस्लिम महिलाओं से बलात्कार वाली मानसिकता के बारे में कुछ इस तरह लिखा है:

सावरकर के मुताबिक़ हिंदू राष्ट्र का आधार वर्ण व्यवस्था और ब्राह्मणों की सर्वोच्चता होगी, सावरकर का कहना है कि ‘चातुर्यवर्ण या वर्ण व्यवस्था, हिंदू राष्ट्र की परिकल्पना का मूलाधार है, इसके आगे भी सावरकर का कहना था कि ब्राह्मणों का शासन हिंदू राष्ट्र का आदर्श होगा, वह पेशवाओं के शासन को हिंदू राष्ट्र का आदर्श मानता था।

इसी तरह सावरकर का कहना था कि वेदों के बाद सबसे पूज्यनीय ग्रंथ मनुस्मृति है, वह कहता था कि मनुस्मृति ही वह ग्रंथ है जो वेदों के बाद हमारे हमारे हिंदू राष्ट्र के लिए पूज्यनीय है और जो प्राचीनकाल से हमारी संस्कृति हमारे विचारों और व्यवहार की आधारशिला बन गया है, यही ग्रंथ हमारे राष्ट्र की Temporal और extraterrestrial सफ़र को गाईड करता आया है।

आज भी करोड़ों हिंदू जिन क़ानूनों के मुताबिक़ ज़िंदगी बिता रहे हैं और एक दूसरे से व्यवहार आचरण कर रहे हैं वह तत्वतः मनुस्मृति के क़ानून पर आधारित है, आज भी मनुस्मृति ही हिंदू क़ानून है। (सावरकर समग्र, खंड 4, 2000 पृष्ठ 415)

मुस्लिम महिलाओं से बलात्कार हिंदुओं का नैतिक और ऐतिहासिक कर्तव्य है
सावरकर मुस्लिम समाज की महिलाओं के साथ बलात्कार को हिंदुओं का नैतिक, साहसिक और ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी समझता है, अपनी किताब सिक्स ग्लोरियस इकोज ऑफ इंडियन हिस्ट्री में अपनी इस बात का तर्क दिया है कि क्यों मुस्लिम समाज की महिलाओं से बलात्कार जायज़ है।

वह यहीं नहीं रुकता बल्कि हिंदुओं को ललकारते हुए कहते हैं कि “अगर अवसर उपलब्ध हो ऐसा न करना कोई नैतिक या बहादुरी का काम नहीं बल्कि कायरता है”।

(See Chapter VIII of the online edition made available by Mumbai-based Swatantryaveer Savarkar Rashtriya Smarak)। उनकी यह किताब 1966 में मराठी में प्रकाशति हुई थी। उसका अंग्रेजी में ट्रांसलेशन मौजूद है।
और यही सावरकर है जो हिंदू राष्ट्र के आदर्श नायक हैं।

रिज़वान हैदर की क़लम से…

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