यमन युद्ध जहाँ एक ओर अरब जगत के सबसे ग़रीब देश यमन की अर्थव्यवस्था और मूलभूत ढांचे को खा चुका है वहीँ यह अब इस युद्ध को शुरू करने वाले सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था को भी पलीता लगाने लगा है।
यमन युद्ध का हर गुज़रता दिन आले सऊद राजपरिवार के शासन वाले सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था के ताबूत में कील ठोंकता हुआ गुज़र रहा है।
यमन युद्ध की दलदल में फंसे सऊदी अरब के खिलाफ यमन सेना ने अपने हालिया अभियान में ज़ुल्फ़िक़ार मिसाइल का प्रयोग किया जिसकी अधिकतम लागत 1 लाख डॉलर थी लेकिन सऊदी अरब ने इस एक मिसाइल को नष्ट करने के लिए अमेरिका से खरीदे गए पैट्रियाट मिसाइल डिफेन्स सिस्टम से कम से कम 5 मिसाइल फायर किये जिस के हर मिसाइल की कीमत कम से कम 10 मिलियन डॉलर थी। इन सबके बावजूद सऊदी अरब यमन सेना के हमलों को रोकने में बुरी तरह विफल रहा और यह पहला अवसर भी नहीं था जब यमन सेना ने रियाज़ और सऊदी अरब के अन्य संवेदनशील भागों को सफल हमलों का निशाना बनाया।
सऊदी अरब ने यमन के मिसाइल हमलों को रोकने के लिए अमेरिका से पैट्रियाट सिस्टम लिया है रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका ने खाड़ी के अरब देशों को यह सिस्टम इसकी वास्तविक क़ीमत से कहीं अधिक क़ीमत पर बेचा है। इस सिस्टम के हर मिसाइल की क़ीमत कम से कम 9.5 मिलियन डॉलर है।