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यमन जनांदोलन और अमेरिका ने सऊदी अरब पर बनाया दबाव

यमन जनांदोलन अंसारुल्लाह और अमेरिका ने सऊदी अरब पर यमन में जारी युद्ध अपराध रोकने का दबाव बनाया हुआ है। यमन में थोड़े दिन की शांति के बाद एक बार फिर यमन जन आंदोलन और अपदस्थ भगोड़े राष्ट्रपति मंसूर हादी के लड़ाकों के बीच मआरिब में भीषण संघर्ष छिड़ गया है।

मआरिब पर अंसारुल्लाह के कंट्रोल का क्या नतीजा होगा इसको लेकर अलग-अलग राय है। कुछ विश्लेषकों का कहना है अंसारुल्लाह यहां के तेल मैदानों को अपने कंट्रोल में लेकर शांति वार्ता में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहेगा। हालांकि अभी तक यमन जनांदोलन ने सिर्फ एक शर्त पर शांति वार्ता में हिस्सा लेने की बात कही है और वह यह है कि यमन से विदेशी सेना विशेषकर सऊदी सेना को वापस बुलाया जा।

इन सबके बावजूद यमन के विभाजन की बात करने वाली सॉउथर्न काउंसिल की नीतियों को देखते हुए इस बात की उम्मीद भी है कि मंसूर हादी को अपनी पोजीशन बचाए रखने में बहुत मुश्किलों का सामना करना होगा।

दूसरी और यमन में सऊदी अरब की गतिविधियों ने अमेरिका के राजनीतिक हल्कों में नाराजगी बढ़ा दी है। अमेरिकी कांग्रेस के कुछ सदस्यों ने हाल ही में विदेश मंत्री को एक पत्र लिखते हुए मांग की है कि वह सऊदी अरब पर दबाव बनाए और यमन की नाकाबंदी को खत्म कराएं ताकि यमन में मानवीय सहायता और जरूरी सामान पहुंचाया जा सके।

वहीं दूसरी ओर सीएनएन ने सऊदी विदेश मंत्री के हवाले से कहा है कि सऊदी अरब मानवीय संकट का सामना कर रहे यमन के लोगों तक मानवीय सहायता पहुंचाने में कोई रुकावट नहीं डाल रहा है। बहरहाल व्हाइट हाउस तयारी कर रहा है ताकि इस सप्ताह तक अपने विशेष दूत को यमन भेज सके।

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