अफगानिस्तान युद्ध में इन अमेरिकी कंपनियों ने जमकर दौलत कमाई

अफगानिस्तान युद्ध में इन अमेरिकी कंपनियों ने जमकर दौलत कमाई 30 अगस्त को अफगानिस्तान से अमेरिका के अंतिम सैनिक के निकलने के साथ ही अफगान युद्ध को समाप्त मान लिया गया।

अफगानिस्तान युद्ध अमेरिका की सबसे लंबी जंग होने के साथ-साथ सबसे महंगा युद्ध भी साबित हुआ। अंतरराष्ट्रीय मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार अफगानिस्तान युद्ध में अमेरिकी खजाने से अरबों डॉलर स्वाहा हो गए।

ब्राउन यूनिवर्सिटी के कॉस्ट ऑफ वार प्रोजेक्ट के अनुसार अमेरिका ने अफगानिस्तान युद्ध पर अपने राष्ट्रीय खजाने से अरबों डॉलर से भी अधिक खर्च किए हैं।

2001 से 2021 के बीच अमेरिका ने जितने पैसे इस युद्ध पर फूंके हैं उनमें से आधे से अधिक है रकम की अदायगी अफगानिस्तान में अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की ओर से अलग-अलग ऑपरेशन के खर्चे पूरे करने के लिए चुकाई गई है।

कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में कैनेडी स्कूल ऑफ गवर्नमेंट की प्रोफेसर लिंडा ब्लिंज़ का कहना है कि अफगानिस्तान युद्ध में अमेरिकी सेनाओं के अपने संसाधन एवं सैनिकों की संख्या बेहद सीमित थी। अधिकतर उपकरण एवं सैनिक रक्षा कॉन्ट्रैक्टरो ने उपलब्ध कराए थे।

अमेरिकी सैनिकों की तुलना में अफगानिस्तान युद्ध में भाड़े के सैनिकों की संख्या कहीं अधिक थी। अफगानिस्तान में भाड़े के सैनिकों एवं सैन्य संसाधन उपलब्ध कराने के लिए अमेरिका और अन्य देशों की 100 से अधिक कंपनियों को अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की ओर से ठेके दिए गए थे। इनमें से अधिकांश कंपनियों ने अरबों डॉलर की कमाई की है।

बोस्टन यूनिवर्सिटी में कॉस्ट ऑफ वार प्रोजेक्ट का हिस्सा रही प्रोफेसर हैदी पेल्टर के अनुमान के मुताबिक अफगानिस्तान में अकेली तीन अमेरिकी कंपनियों डेनकार्प, फ़्लोर और किलोग ब्राउन एंड रूट को सबसे बड़े ठेके दिए गए थे।

डेनकार्प को साढ़े 14 अरब डॉलर्स से अधिक के ठेके मिले , वहीं फ्लोर कॉरपोरेशन को अफगानिस्तान में 13 अरब डॉलर से अधिक के ठेके मिले। पेल्टर के आंकड़ों के आधार पर बीआरको कंपनी को भी अमेरिकी रक्षा मंत्रालय की ओर से तीन अरब 60 लाख डॉलर्स से अधिक के ठेके मिले थे।

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