इज़रायल के परमाणु कार्यक्रम पर अमेरिका की चुप्पी का पर्दाफाश

इज़रायल के परमाणु कार्यक्रम पर अमेरिका की चुप्पी का पर्दाफाश

अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा अभिलेखागार से हाल ही में सार्वजनिक किए गए गोपनीय दस्तावेज़ों से पता चला है कि अमेरिका 1960 के दशक से यह जानता था कि इज़रायल के डिमोना परमाणु अनुसंधान केंद्र में हथियार-ग्रेड प्लूटोनियम का उत्पादन किया जा रहा है। ये दस्तावेज़ इज़रायल के गुप्त परमाणु कार्यक्रम और इस पर वाशिंगटन की चुप्पी की पुष्टि करते हैं।

1985 में पत्रकारों और शिक्षाविदों द्वारा स्थापित राष्ट्रीय सुरक्षा अभिलेखागार ने इज़रायल के परमाणु कार्यक्रम से जुड़े कुछ नए दस्तावेज़ जारी किए हैं। स्पुतनिक समाचार एजेंसी के अनुसार, इनमें से एक महत्वपूर्ण दस्तावेज़, जो दिसंबर 1960 में अमेरिकी परमाणु ऊर्जा आयोग द्वारा तैयार किया गया था, स्पष्ट रूप से कहता है कि “डिमोना प्रोजेक्ट में प्लूटोनियम पुनःप्रसंस्करण संयंत्र शामिल है, जो सैन्य कार्यक्रम से जुड़ा हुआ है।”

इज़रायल की गुप्त गतिविधियों पर अमेरिका का रुख
अमेरिकी अभिलेखागार के अनुसार, 1960 के दशक के अंत तक अमेरिका के पास इज़रायल के प्लूटोनियम पुनःप्रसंस्करण की गतिविधियों के पुख्ता सबूत नहीं थे। लेकिन 1967 तक ऐसे संकेत मिले कि डिमोना का पुनःप्रसंस्करण संयंत्र या तो पूरा हो चुका था या पूरा होने के करीब था। इसके साथ ही, रिएक्टर अपनी पूरी क्षमता से काम कर रहा था। इसका अर्थ था कि इज़रायल मात्र छह से आठ हफ्तों में परमाणु हथियार बना सकता था।

1960 के दशक के अंत तक, अमेरिका ने इज़रायल को एक “अघोषित परमाणु देश” के रूप में मान्यता देने के लिए गुप्त रूप से एक समझौता किया। यह समझौता इज़रायल के परमाणु हथियार क्षमता को स्वीकार करने और इसके खुलासे से बचने के लिए था।

सैन्य और कूटनीतिक प्रभाव
इन दस्तावेज़ों से यह भी पता चलता है कि 1970 के दशक तक अमेरिका ने इज़रायल के परमाणु हथियार क्षमता को लेकर अपनी नीति में बदलाव कर लिया था और इसके साथ सामंजस्य बिठा लिया था। यह तथ्य इज़रायल के परमाणु कार्यक्रम के प्रति अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने अमेरिकी रुख पर सवाल खड़ा करता है।

अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा अभिलेखागार के ये दस्तावेज़ इस बात को उजागर करते हैं कि इज़रायल का सैन्य परमाणु कार्यक्रम दशकों से अमेरिका की जानकारी में था। लेकिन इस पर कोई सार्वजनिक कार्रवाई नहीं की गई। यह स्थिति वैश्विक परमाणु प्रसार रोकथाम प्रयासों और अमेरिका की भूमिका को लेकर गंभीर प्रश्न उठाती है।

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