ट्यूनीशियाई राष्ट्रपति ने सर्वोच्च न्यायिक परिषद को किया भंग ट्यूनीशियाई राष्ट्रपति क़ैस सईद ने सर्वोच्च न्यायिक परिषद को बर्खास्त कर दिया है जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता की देखरेख करने वाली एकमात्र संस्था है। क़ैस सईद ने असंतुष्टों द्वारा विरोध और गुस्से की शुरुआत के बारे में चिंता जताई है।
ट्यूनीशियाई राष्ट्रपति सईद का फैसला तब सामने आया जब वह पिछले कुछ महीनों में न्यायाधीशों की अत्यधिक आलोचना कर रहे थे। क़ैस सईद ने कहा कि वह सरकार को न्यायपालिका की सेवा करने की अनुमति नहीं देंगे बल्कि न्यायपालिका को सरकार की सेवा करनी चाहिए। ट्यूनीशियाई राष्ट्रपति ने भ्रष्टाचार और आतंकवाद के मामलों में सजा में देरी की बार-बार आलोचना की है।
ट्यूनीशियाई सुप्रीम ज्यूडिशियल काउंसिल एक स्वतंत्र कानूनी निकाय है जिसे न्यायपालिका में सुधार, न्यायपालिका की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने और न्यायाधीशों को फटकार लगाने या बढ़ावा देने का काम सौंपा गया है। अल-कुद्स अल-अरबी अखबार के अनुसार सईद ने सर्वोच्च न्यायिक परिषद को भंग करने की घोषणा की। ट्यूनीशियाई राष्ट्रपति का यह कदम तब आया है जब पिछले कुछ महीनों में न्यायाधीशों द्वारा उनके कार्यों की आलोचना की गई है, जिन्होंने न्यायाधीशों पर लगातार दबाव डालने और हस्तक्षेप करने के लिए राष्ट्रपति की बार-बार आलोचना की है।
स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि ये कदम बिल्कुल भी आश्चर्य वाला नहीं है क्योंकि राष्ट्रपति ने पहले ही संसद को भंग करने और प्रधानमंत्री को बर्खास्त करने की धमकी दी थी। पिछले सितंबर से ही ट्यूनीशिया में राजनीतिक संकट जारी है। वहीं राष्ट्रपति द्वारा उठाए गए कदम के बाद प्रदर्शनकारियों में खुशी की लहर दौड़ गई। प्रदर्शनकारियों ने सामाजिक और आर्थिक सुधारों का भी आह्वान किया है। ट्यूनीशिया में आर्थिक संकट जारी है ऊपर से कोरोना से स्वास्थ्य संकट भी खड़ा कर दिया है। ट्यूनीशिया में कोरोनावायरस की वजह से अब तक 18 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।