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डॉलर अब “वैश्विक सुरक्षित पनाहगाह” नहीं है: न्यूज़वीक

डॉलर अब “वैश्विक सुरक्षित पनाहगाह” नहीं है: न्यूज़वीक

डोनाल्ड ट्रंप की दूसरी राष्ट्रपति अवधि की शुरुआत से ही अमेरिकी डॉलर का मूल्य लगातार गिर रहा है। यह स्थिति उन देशों की आर्थिक अस्थिरता को दिखाती है जो डॉलर पर निर्भर हैं।

अमेरिकी मीडिया न्यूज़वीक ने अपने विश्लेषण में बताया कि, अमेरिकी डॉलर का इंडेक्स लगभग 97.5 पर है और इसकी कीमत साल की शुरुआत से अब तक लगभग 10% घट चुकी है। न्यूज़वीक के अनुसार, यह 1973 के बाद डॉलर का सबसे खराब सालाना प्रदर्शन माना जा रहा है। किसी भी मुद्रा का मूल्य उसकी मांग पर निर्भर करता है और हाल के समय में अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर चिंताओं के कारण डॉलर की मांग में गिरावट आई है।

विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशक अब डॉलर और डॉलर आधारित संपत्तियों जैसे अमेरिकी सरकारी बॉन्ड से दूरी बना रहे हैं, क्योंकि उन्हें महंगाई, राष्ट्रीय कर्ज़ में बढ़ोतरी और अमेरिका की कमज़ोर वित्तीय प्रबंधन प्रणाली को लेकर चिंता है। इसके अलावा, अमेरिकी सरकार की अस्थिर व्यापार नीतियाँ और फेडरल रिज़र्व पर खुलेआम की गई आलोचनाएँ भी वित्तीय प्रबंधन में अनिश्चितता पैदा कर रही हैं। डॉलर, जिसे हमेशा “सुरक्षित पनाहगाह” माना जाता था, अब वैश्विक भरोसे के संकट का सामना कर रहा है।

अमेरिकी कंपनी ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स के वरिष्ठ अर्थशास्त्री माइकल पीयर्स का कहना है:
कम अवधि में डॉलर का मूल्य बाज़ार की भावनाओं, निवेशकों की पोज़िशन और वे विदेशी मुद्रा के उतार-चढ़ाव से कैसे बचाव करते हैं, इस पर निर्भर करता है। इस साल की शुरुआत में निवेशकों ने डॉलर में ज़रूरत से ज़्यादा निवेश किया था, लेकिन साल के पहले छह महीनों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था को लेकर नकारात्मकता बढ़ने से यह रुझान उलट गया।”

न्यूज़वीक डॉलर की स्थिति पर आगे लिखता है:
हालाँकि पिछले दिनों डॉलर की क़ीमत में थोड़ी सुधार आई है, लेकिन इसका लंबी अवधि का भविष्य अब भी अनिश्चित है।”

माइकल पीयर्स का मानना है:
“डॉलर लंबे समय तक मज़बूत रहा है और अब यह ज़्यादा मूल्यांकित (overvalued) दिखाई देता है, लेकिन आने वाले वर्षों में इसके धीरे-धीरे कमज़ोर होने की उम्मीद है।”

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