आईएसआईएस के बढ़ते आतंक से परेशान उज़्बेकिस्तान की सेना इस आतंकी संगठन से निपटने के लिए भारतीय सेना से युद्ध कौशल सीख रही है। उज़्बेकिस्तान के लिए आईएसआईएस की बढ़ती ताकत खासी चिंता का विषय है। इस देश में आखिरी बार सन् 1999 में आतंकी हमला हुआ था। इसके बावजूद इस देश में ऐसे युवाओं की संख्या बहुत ज्यादा है जो चरमपंथ की तरफ मुड़ चुके हैं। देश की 64 प्रतिशत आबादी 35 साल से कम उम्र के लोगों की है्. जबकि कुल आबादी 33 मिलियन है।
उज़्बेकिस्तान सरकार के लिए सबसे चिंताजनक बात यह है कि यहां के युवाओं में आईएसआईएस के लिए आकर्षण बढ़ रहा है । कई युवा आईएसआईएस में शामिल हो चुके हैं। यह युवा पश्चिमी मोर्चे पर स्थित देशों में नागरिकों की हत्या में शामिल हैं। इसके अलावा अफगानिस्तान में जो भी आतंकी हमले हो रहे हैं, उसमें भी इस देश के युवाओं का ही नाम सामने आ रहा है।
ऐसे में 10 मार्च से उत्तराखंड के जंगलों में भारत और उज़्बेकिस्तान की सेनाएं ज्वॉइन्ट मिलिट्री ड्रिल में हिस्सा ले रही हैं। उज़्बेक आर्मी ऐसे समय में इस मिलिट्री ड्रिल में शामिल हो रही है जब उसके देश में आईएसआईएस का खतरा बढ़ता जा रहा है। चीन को घेरने के लिए इस देश के साथ भारत के बेहतर संबंध बहुत जरूरी हैं और इस लिहाज से भी यह मिलिट्री ड्रिल काफी अहम मानी जा रही है। उजबेकिस्तान की सेना काउंटर टेररिज्म पर अपने अनुभव को और मजबूत करने के मकसद से भारत के साथ अभ्यास करने के लिए आई है।
उत्तराखंड के चौबतियां में इस समय इंडियन आर्मी और उज़्बेक आर्मी साथ में अभ्यास कर रही हैं। चौबतिया, रानीखेत से कुछ ही दूरी पर है। इस मिलिट्री ड्रिल को दस्तलिक II नाम दिया गया है। 10 मार्च से इस युद्धाभ्यास का आगाज हुआ था और 19 मार्च को यह एक्सरसाइज खत्म हो जाएगी। इस ज्वॉइन्ट मिलिट्री ड्रिल के दौरान उज़्बेक आर्मी काउंटर टेररिज्म ड्रिल के साथ ही जंगल वॉरफेयर के टिप्स भी इंडियन आर्मी से ले रही है।
उज़्बेकिस्तान आर्मी के कर्नल नामिलोव अजीजबेक बॉक्सरीड्डिनोविक ने बताया कि इस बार मिलिट्री ड्रिल में उनकी सेना भारत की सेना के साथ मिलकर एंटी-टेररिज्म ड्रिल्स के बारे में सीख रही है।