यूक्रेन ने वार्ता समिति में शामिल अपने सदस्य को मौत के घाट उतारा

यूक्रेन ने वार्ता समिति में शामिल अपने सदस्य को मौत के घात उतारा

रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के दौरान दोनों देशों के बीच शांति वार्ता के लिए यूक्रेनी प्रतिनिधि मंडल के सदस्य डेनिस किरीव को सिक्योरिटी सर्विस ऑफ यूक्रेन ने मार डाला है।

यूक्रेन की सिक्योरिटी सर्विस ने शनिवार को डेनिस किरीव की गोली मारकर हत्या कर दी है। कहा जा रहा है कि एसबीयू को संदेह था कि डेनिस रूस के लिए जासूसी कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि सिक्योरिटी सर्विस ऑफ यूक्रेन के पास डेनिस के खिलाफ देशद्रोही होने के सबूत थे जिसमें टेलीफोन पर हुई बातचीत भी शामिल थी। डेनिस को गिरफ्तारी के दौरान ही गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया है।

डेनिस देश के कुलीन वर्ग में शामिल थे। उनके यूक्रेन के पूर्व राष्ट्रपति विक्टर यांकोविच के प्रमुख सहयोगी आंद्रेई क्लाइव के साथ भी अच्छे संबंध बताए जा रहे हैं। स्वतंत्र राजनीतिक विश्लेषक मारिया ने कहा कि डेनिस को कीव के बीचोबीच गोली मारी गई है। उन्हें सबके सामने मौत के घाट उतार दिया गया। कोर्ट के सामने उनके सर में गोली मारी गई।

डेनिस 2006 से 2018 के बीच एससीएम फाइनेंस के तौर पर काम करते रहे वह डिप्टी जनरल डायरेक्टर के पद पर थे। 2006 से 10 के बीच उन्होंने यूकेक्सिम बैंक में सुपरवाइजरी बोर्ड में भी जिम्मेदारी संभाली थी जबकि 2010 से 14 के बीच में ओशाद बैंक में उप प्रमुख के पद पर तैनात रहे।

वह कई बिजनेस कंपनियों में भी वरिष्ठ पद पर कार्यरत रह चुके हैं। कई लोग उनके वार्ता समिति में शामिल होने को लेकर भी सवाल उठा रहे हैं। यूक्रेन के एक वरिष्ठ पत्रकार ने कहा कि वे यूक्रेन के प्रतिनिधिमंडल में शामिल कैसे हुए ? रूस से वार्ता के लिए बनी समिति में उन्हें कैसे स्थान मिला इस बारे में राष्ट्रपति ऑफिस से मालूम किया जाना चाहिए।

वहीं दूसरी ओर जेलेंस्की ने एक बार फिर नाटो को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि नाटो ने यूक्रेन के शहरों पर उसको खुलकर गोलीबारी और बमबारी करने की हरी झंडी दिखा दी है दरअसल यूक्रेन ने मांग की थी कि उसे नाटो की ओर से नो फ्लाई जोन घोषित कर दिया जाए लेकिन नाटो ने यूक्रेन की मांग को ठुकरा दिया है अगर यूक्रेन को लाइट ओन घोषित किया गया तो उसकी आक्रामकता भड़क जाएगी जिस पर जेलेंस्की ने नाराज होते हुए नाटो के फैसले की निंदा करते हुए कहा कि नाटो का यह कमजोर शिखर सम्मेलन था वही रूस के राष्ट्रपति देश मंत्री सरगेई लावरोव ने कहा कि अगर वह इतना परेशान है कि ना तो उसके लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है तो इसका मतलब यह है कि उसने संघर्ष के समाधान की उम्मीद भी नहीं की थी हालांकि यह पूरा मामला नाटो की भागीदारी के बजाय आपसी वार्ता के माध्यम से सुलझाया जा सकता था

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