अमेरिका में घर की घंटी बजाकर भागने पर 11 साल के बच्चे को गोली मारी
अमेरिकी राज्य टेक्सास के ह्यूस्टन शहर में एक बेहद दर्दनाक घटना सामने आई है। सिर्फ़ एक मासूम शरारत – घर की घंटी बजाकर भागना – 11 साल के बच्चे जूलियन गुज़मैन की जान ले बैठी। जूलियन अपने कज़िन के साथ एक समारोह से लौट रहा था। दोनों ने मज़ाक-मस्ती के लिए कुछ घरों की घंटी बजाकर भागने का खेल किया। लेकिन रात करीब 11 बजे मेम्ब्राउ स्ट्रीट पर गोंज़ालो लियोन जूनियर नामक 42 वर्षीय व्यक्ति ने अपने घर के बाहर दो गोलियाँ चलाईं। एक गोली सीधे जूलियन की पीठ में लगी। अस्पताल ले जाते वक्त मासूम की मौत हो गई। गोली चलाने वाला लियोन एक पूर्व सैनिक है, जो अफ़ग़ानिस्तान में तैनात रह चुका है और टेक्सास नेशनल गार्ड का सदस्य भी रह चुका है। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है।
यह घटना कोई पहली बार नहीं है। अमेरिका में लगभग हर हफ़्ते किसी न किसी स्कूल, सड़क, रेस्टोरेंट या घर के बाहर गोलीबारी की खबर आती है। गन कल्चर और हथियार रखने की खुली आज़ादी ने अमेरिका को एक तरह से “खूनी ज़ोन” बना दिया है। वहाँ बच्चे स्कूल जाने से डरते हैं और माता-पिता हर वक्त सहमे रहते हैं कि न जाने कब, कहाँ से गोली चल जाए।
सबसे बड़ा सवाल यह है कि अमेरिका जैसी “सुपरपावर” अपने ही बच्चों की सुरक्षा नहीं कर पा रहा। वहाँ की सरकार और प्रशासन बार-बार वादे करते हैं लेकिन हथियार लॉबी और राजनीतिक दबाव के आगे कोई ठोस क़दम नहीं उठाते। नतीजा यह है कि हर साल हज़ारों मासूम जानें बेमौत चली जाती हैं।
जूलियन गुज़मैन की मौत सिर्फ़ एक बच्चा खोने की घटना नहीं है, बल्कि यह उस व्यवस्था पर करारा तमाचा है जो इंसानों की जान से ज़्यादा हथियारों की आज़ादी को महत्व देती है। अगर अमेरिका सच में “मानवाधिकार” और “सुरक्षा” की बात करता है, तो उसे सबसे पहले अपने देश में बंदूक़ों के क़ानून पर लगाम लगानी होगी। वरना हर घर, हर गली से इसी तरह मासूम बच्चों की चीखें सुनाई देती रहेंगी।

