रोहिंग्या मुसलमानों पर ध्यान देने की ज़रूरत: यूएन
संयुक्त राष्ट्र ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से बांग्लादेश में रहने वाले लाखों रोहिंग्या मुसलमानों का समर्थन करने और उनकी मदद करने कि गुज़ारिश की है। IRNA न्यूज़ के अनुसार, रोहिंग्या मुस्लिम मुद्दों के लिए संयुक्त राष्ट्र की महिला प्रतिनिधि, नोविलिन हेसर ने बांग्लादेश में लाखों रोहिंग्या मुसलमानों के जबरन प्रवास की 5 वीं वर्षगांठ के अवसर पर चार दिनों के लिए इस क्षेत्र का दौरा किया।
नोविलिन हेसर ने इस मौके पर अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से खास तवज्जो देते हुए कहा कि आज भी बांग्लादेश पूरी उदारता के साथ रोहिंग्या मुसलमानों की मेजबानी कर रहा है, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को इन कठिनाइयों के बोझ को निष्पक्ष रूप से आपस में साझा करने की आवश्यकता है।
साथ ही उन्होंने कहा कि यह ज़रूरी है कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय रोहिंग्या मुसलमानों के लिए एक व्यापक और स्थायी समाधान तलाश करने का प्रयास करे। ताकि म्यांमार में मानवाधिकारों और सुरक्षा के बिगड़ते हालात को देखते हुए रोहिंग्या मुसलमानों का मुद्दा भूले-बिसरे संकट में न बदल जाए।
संयुक्त राष्ट्र की महिला प्रतिनिधि नोविलिन हेसर ने कहा कि म्यांमार में दयनीय स्थिति रोहिंग्या मुसलमानों को भूमि और समुद्री मार्गों से अपनी मातृभूमि से भागने के लिए मजबूर कर रही है, और इन प्रवासियों को मानव तस्करों और चरमपंथियों का भी सामना करना पड़ता है।
हेइज़र ने ये भी कहा है कि अंततः म्यांमार को ही रोहिंग्या मुसलमानों की स्वैच्छिक, सुरक्षित, गरिमापूर्ण और स्थायी वापसी के लिए स्थितियां बनानी होंगी और उन्हें अपने कानूनी दायित्व को पूरा करना होगा। ग़ौरतलब है कि उन्होंने रोहिंग्या मुसलमानों के अधिकारों और सुरक्षा की सुरक्षा पर भी जोर दिया है।
गौरतलब है कि बांग्लादेश का म्यांमार के साथ समझौता हुआ है जिसके तहत अक्टूबर 2016 से आए कम से कम से 7,50,००० रोहिंग्या शरणार्थियों को अगले दो वर्ष में स्वदेश भेजा जाना है। यह प्रक्रिया इसी हफ्ते से शुरू की जानी है। म्यांमार में बांग्लादेश के राजदूत मोहम्मद सफीउर रहमान ने बताया था कि हम आने वाले दिनों में यह प्रक्रिया शुरू करने में सक्षम होंगे। उन्होंने रोहिंग्या शरणार्थियों की वापसी की शुरुआत के लिए म्यांमार की तरफ से तय अगले हफ़्ते की समयसीमा पर कहा कि यह संभव नहीं है।