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हम ईरान पर पाबंदियों और दबाव के ख़िलाफ़ हैं: चीन

हम ईरान पर पाबंदियों और दबाव के ख़िलाफ़ हैं: चीन

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने ईरान के ख़िलाफ़ “स्नैप-बैक मैकेनिज्म” को सक्रिय करने की आलोचना करते हुए इसे गैर-रचनात्मक क़दम बताया और ज़ोर दिया कि, ईरान के परमाणु मुद्दे का हल सिर्फ़ राजनीतिक और कूटनीतिक रास्तों से ही संभव है।

चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता “गुओ जियाकुन” ने कहा कि बीजिंग का मानना है कि, ईरान के परमाणु मसले का व्यावहारिक हल केवल शांति पूर्ण राजनीतिक और कूटनीतिक रास्ता है। उन्होंने कहा कि चीन ज़बरदस्ती, पाबंदियों और दबाव के ख़िलाफ़ है।

नए चीनी प्रवक्ता ने यह बयान उस समय दिया जब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद चीन और रूस द्वारा पेश मसौदा प्रस्ताव, जो प्रस्ताव 2231 के तकनीकी विस्तार से जुड़ा था, पारित करने में असफल रही। उनका कहना था कि इस मसौदे का मक़सद ईरान के परमाणु मुद्दे पर बातचीत के लिए और समय और बेहतर माहौल देना तथा राजनीतिक समाधान के लिए अनुकूल स्थिति बनाना था।

चीनी प्रवक्ता ने कहा कि “स्नैप-बैक मैकेनिज्म” थोपना एक गैर-रचनात्मक कदम है जो राजनीतिक और कूटनीतिक प्रक्रिया को उल्टा कर देता है। उन्होंने याद दिलाया कि आज के संकट की जड़ अमेरिका का एकतरफ़ा तौर पर परमाणु समझौते (JCPOA) से बाहर निकलना है। उन्होंने कहा कि चीन अमेरिका और यूरोपीय देशों से मांग करता है कि, वे राजनीतिक ईमानदारी दिखाएँ, कूटनीतिक कोशिशें बढ़ाएँ, ईरान के परमाणु मसले को दोबारा राजनीतिक-कूटनीतिक हल की तरफ़ लौटाएँ और हालात को और बिगाड़ने से बचें।

गुओ ने यह भी कहा कि बीजिंग “निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ रुख़” पर क़ायम रहेगा और ऐसा रचनात्मक रोल निभाएगा जिससे सभी पक्षों की जायज़ चिंताओं का ध्यान रखा जा सके। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की उस बैठक में भी चीन के प्रतिनिधि ने अफसोस जताया था जिसमें इस मसौदे को ख़ारिज कर दिया गया। चीन ने तीन यूरोपीय देशों से अपील की थी कि, वे ईरान के साथ नेकनीयती से बातचीत करें। रूस ने भी यह स्पष्ट किया कि ईरान पर फिर से पाबंदियां लगाना कानूनी तौर पर अमान्य और लागू न होने योग्य है।

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