ट्रंप ने चीन से आने वाले सामान पर 100% टैरिफ़ लगाने की घोषणा की
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन के खिलाफ एक बड़ा आर्थिक कदम उठाते हुए घोषणा की है कि 1 नवम्बर से चीन से आने वाले सभी आयातित सामानों पर 100 प्रतिशत टैरिफ़ लगाया जाएगा। यह फैसला ट्रंप प्रशासन द्वारा चीन के खिलाफ अब तक का सबसे कठोर आर्थिक प्रतिबंध माना जा रहा है। ट्रम्प ने यह क़दम चीन द्वारा हाल ही में दुर्लभ खनिजों (Rare Earth Elements) और स्थायी मैग्नेट्स के निर्यात पर लगाए गए नियंत्रणों के जवाब में उठाया है।
इन दुर्लभ खनिजों का इस्तेमाल आधुनिक तकनीक और रक्षा उद्योगों में होता है — जैसे कंप्यूटर चिप्स, जेट इंजन, इलेक्ट्रिक वाहन, रडार सिस्टम, मिसाइल तकनीक और सैन्य उपकरणों में। चीन इस क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी आपूर्ति करने वाला देश है। ऐसे में चीन का निर्यात सीमित करना अमेरिका और उसके सहयोगियों के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Truth Social पर चीन की इस कार्रवाई को “एक अभूतपूर्व आक्रमण” बताया और आरोप लगाया कि, चीन “दुनिया को अपने संसाधनों के ज़रिए बंधक बना रहा है।” उन्होंने कहा कि यह 100 प्रतिशत टैरिफ़ “मौजूदा टैक्स के अलावा” लगाया जाएगा, जिससे चीन से आने वाले लगभग हर उत्पाद की कीमत दोगुनी हो जाएगी।
अर्थशास्त्रियों के अनुसार, यह कदम न केवल चीन की अर्थव्यवस्था पर दबाव डालेगा बल्कि अमेरिका में भी मुद्रास्फीति (inflation) को बढ़ा सकता है, क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑटोमोबाइल और टेक्नोलॉजी सेक्टर के उत्पाद महंगे हो जाएंगे। हालांकि ट्रंप प्रशासन का दावा है कि इस नीति का उद्देश्य अमेरिकी उद्योगों को “स्वावलंबी” बनाना और “मेड इन अमेरिका” को बढ़ावा देना है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय वैश्विक बाजारों में व्यापार युद्ध (Trade War) को और तीव्र कर सकता है। चीन के वाणिज्य मंत्रालय ने अभी तक आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन विश्लेषकों का अनुमान है कि बीजिंग जल्द ही प्रतिशोधी कदम (retaliatory measures) उठा सकता है। कुल मिलाकर, यह घोषणा अमेरिका और चीन के बीच चल रही आर्थिक तनातनी को एक नए मोड़ पर ले जाती है, जहां दोनों महाशक्तियाँ वैश्विक आर्थिक प्रभाव और तकनीकी प्रभुत्व के लिए खुलकर आमने-सामने आ गई हैं।

