जीएसटी में कटौती से इलाज भी सस्ता होने की उम्मीद
जीएसटी की नई दरों को लेकर चिकित्सा क्षेत्र में उत्साह देखा जा रहा है। कई दवाइयाँ और चिकित्सीय उत्पाद जिन पर पहले 12% टैक्स लगता था, अब घटकर 5% हो गया है। इससे उम्मीद जताई जा रही है कि इलाज और दवाइयाँ सस्ती होंगी। इसके अलावा 36 बेहद अहम और जीवनरक्षक दवाओं को पूरी तरह जीएसटी से मुक्त कर दिया गया है।
इंडियन फ़ार्मास्यूटिकल एलायंस (IPA) ने आशा जताई है कि, मोटापा, डायबिटीज़, फैटी लीवर जैसी पुरानी बीमारियों और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के इलाज का खर्च अब कम होगा। इससे मरीज़ों को आर्थिक बोझ से राहत मिलेगी।
आईपीए का अनुमान है कि मोटापा, डायबिटीज़ और फैटी लीवर से जूझ रहे मरीज़ों के इलाज में लगभग 2 लाख रुपये तक की बचत हो सकती है। पहले ऐसे मरीज़ों की दवाइयों और जाँच पर सालाना करीब 9 लाख रुपये तक खर्च आता था, लेकिन ज़रूरी दवाओं पर जीएसटी 5% होने से अब यह खर्च लगभग 2 लाख रुपये तक कम हो जाएगा।
रिपोर्ट में बताया गया है कि जीएसटी से मुक्त की गई ज़्यादातर दवाएँ कैंसर, आनुवंशिक बीमारियों और हृदय रोगों के इलाज में इस्तेमाल होती हैं। चूँकि इनकी दवाएँ महँगी होती हैं, इसलिए टैक्स छूट मिलने से मध्यमवर्गीय परिवारों, गंभीर मरीज़ों और बुज़ुर्गों को राहत मिलेगी।
आईपीए ने यह भी उम्मीद जताई है कि महिलाओं में पाए जाने वाले स्तन कैंसर का इलाज भी अब सस्ता होगा। संगठन के अनुसार, इस इलाज में लगने वाली महँगी दवाओं पर जीएसटी घटने से कुल बिल लगभग 4 लाख रुपये तक कम हो सकता है। इसमें प्रयोगशाला जाँच और अन्य ख़र्च भी शामिल हैं।

