साजिद रशीदी का बयान शर्मनाक, वह मौलाना के नाम पर धब्बा हैं: अबू आज़मी
एक टीवी डिबेट में समाजवादी पार्टी सांसद डिंपल यादव के पहनावे पर की गई अभद्र टिप्पणी के बाद साजिद रशीदी चौतरफा घिर गए हैं। उन्होंने डिंपल यादव की एक तस्वीर पर बेहूदा टिप्पणी की थी। उनके उस बेहूदा बयान की चौतरफ़ा आलोचना हो रही है। समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनके इस बयान की निंदा करते हुए उनसे तुरंत माफ़ी की मांग की है।
दरअसल, एक टीवी शो की डिबेट में साजिद रशीदी ने आपत्तिजनक बयान देतेब हुए कहा था, “मैं एक फोटो दिखाता हूं, जिसे देखकर शर्मा जाएंगे। मैं किसी का नाम नहीं लेता लेकिन सभी जानते हैं, जो मोहतर्मा उनके साथ थीं वो तो अपने मुस्लिम पहनावे में थीं। उनका सिर ढका हुआ था। दूसरी मोहतर्मा थीं डिंपल यादव। उनकी पीठ का फोटो देख लीजिए। वह नंगी बैठी हैं।”
इस बयान के बाद समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता अबू आजमी ने रशीदी को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि “चंद सिक्कों के लिए ये शख्स टीवी डिबेट में बैठकर पूरी मुस्लिम कौम की बदनामी करता है, जबकि असल में बीजेपी का एजेंडा चला रहा है। ऐसे लोग मुलायम सिंह यादव की बहू और एक निर्वाचित सांसद के खिलाफ बोलने की हिम्मत कैसे कर सकते हैं?”
अबू आजमी ने रशीदी को ‘मौलाना के नाम पर कलंक’ बताते हुए कहा कि “आपके जैसे लोगों के नाम से मौलाना शब्द हटा देना चाहिए। आप केवल सुर्खियों में रहना चाहते हैं, दलाली बंद कीजिए।”
उन्होंने साफ किया कि डिंपल यादव का पहनावा बिल्कुल सम्मानजनक था, जो वो संसद में पहनती हैं, वही मस्जिद में भी था। “साड़ी हमारे समाज में इज्जत का प्रतीक है,”। साड़ी हिंदुओं का पहनावा है, जिसे सम्माजनक रूप से देखा जाता है। अबू आज़मी ने यह भी आरोप लगाया कि साजिद रशीदी जानबूझकर मुसलमानों को समाजवादी पार्टी से दूर करना चाहते हैं, लेकिन उनका यह मंसूबा कभी पूरा नहीं होगा।
अबू आजमी ने साजिद रशीदी को संबोधित करते हुए आगे कहा, डिंपल यादव चुनी हुईं सांसद हैं और मुलायम सिंह यादव की बहू हैं। “आपको शर्म नहीं आती है? इतने बड़े नेता की बहू और इतने बड़े नेता की पत्नी के बारे में आपकी हिम्मत कैसे हुई बोलने की? आपके नाम से मौलाना निकाल देना चाहिए। आप मौलाना के नाम पर कलंक हैं। आपको केवल शोहरत चाहिए, शर्म कीजिए और इस तरह की दलाली करना बंद कीजिए।”
यह मामला अब सिर्फ राजनीति नहीं बल्कि सामाजिक शालीनता और महिला सम्मान का है। साजिद रशीदी जैसे लोग ना सिर्फ इस्लाम को बदनाम कर रहे हैं, बल्कि सार्वजनिक विमर्श को भी जहरीला बना रहे हैं।

