दरबार स्थानांतरण की बहाली से जम्मू-कश्मीर की एकता मजबूत होगी: फारूक अब्दुल्ला
नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि दरबार स्थानांतरण की परंपरा की बहाली एक सराहनीय कदम है। इससे जम्मू और कश्मीर को अलग करने की कोशिशें नाकाम हुई हैं और प्रदेश की एकता को बल मिलेगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि इस निर्णय से जम्मू की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा फायदा होगा।
डॉ. अब्दुल्ला ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत के दौरान कहा कि दरबार स्थानांतरण की यह परंपरा महाराजा रणबीर सिंह के समय शुरू हुई थी, जिसने प्रदेश के दोनों हिस्सों — जम्मू और कश्मीर — के लोगों को आपस में जोड़ने का काम किया था। यह केवल प्रशासनिक नहीं बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक भी थी। उन्होंने कहा कि इस परंपरा के खत्म होने से दोनों क्षेत्रों के बीच दूरी बढ़ रही थी, जिसे बहाल कर अब एक सकारात्मक संदेश दिया गया है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने सरकार की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि सरकार ने दरबार स्थानांतरण को बहाल करने का अपना वादा पूरा किया है। अब समय आ गया है कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा भी वापस दिया जाए, जैसा कि पहले वादा किया गया था। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि, वे जम्मू-कश्मीर के प्रति विशेष ध्यान दें और हाल ही में आए तूफान से प्रभावित जम्मू के लोगों के लिए भरपूर सहायता प्रदान करें।
उपचुनावों के संदर्भ में उन्होंने कहा कि नग्रोता और बडगाम सीटों पर हर उम्मीदवार की तरह नेशनल कॉन्फ्रेंस भी अच्छे परिणामों की उम्मीद कर रही है। उन्होंने विश्वास जताया कि, जनता पार्टी पर भरोसा दिखाएगी।
सरकार के कामकाज पर टिप्पणी करते हुए डॉ. अब्दुल्ला ने कहा कि सरकार धीरे-धीरे अपने वादों को पूरा कर रही है और अगले चार वर्षों में सभी वादे पूरे हो जाएंगे। उन्होंने लेफ्टिनेंट गवर्नर को भी सलाह दी कि वे फाइलें रोकने के बजाय जनता और सरकार दोनों के लिए एक सहयोगी और मित्र की भूमिका निभाएं।

