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लंदनवासियों ने खाली बर्तनों की आवाज़ से ग़ाज़ा की भूख को याद किया

लंदनवासियों ने खाली बर्तनों की आवाज़ से ग़ाज़ा की भूख को याद किया

ग़ाज़ा में फैली भयानक और जानलेवा भुखमरी तथा ब्रिटेन सरकार द्वारा इज़रायल के नरसंहार को दिए जा रहे समर्थन के खिलाफ शुक्रवार को हजारों प्रदर्शनकारियों ने लंदन स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय के सामने प्रदर्शन किया और फ़िलस्तीनियों के खिलाफ “जानबूझकर कराई गई भुखमरी” को तुरंत रोकने की मांग की। लंदन की सड़कों पर शुक्रवार को जो आवाज़ गूंजी, वो सिर्फ़ खाली बर्तनों की खड़खड़ाहट नहीं थी—बल्कि वो एक भूखी कौम की चीख थी। ग़ाज़ा में इज़रायल द्वारा फैलाए गए अकाल और ब्रिटिश सरकार की चुप्पी के खिलाफ यह प्रदर्शन सिर्फ़ एक विरोध नहीं, बल्कि एक इंसानी ज़मीर की दस्तक थी।

अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसी “फार्स” के मुताबिक, “1000 खाली बर्तनों को उन 1000 से ज़्यादा फ़िलस्तीनियों की निशानी के तौर पर प्रधानमंत्री कार्यालय के सामने रखा गया जिन्हें इज़रायल ने भोजन की तलाश के दौरान मार डाला।” इसका मक़सद ब्रिटिश सरकार और जनता का ध्यान ग़ाज़ा में हो रहे इन अपराधों की ओर खींचना और फ़िलस्तीनी जनता पर लगाए गए इस ज़ुल्म और घेराबंदी को खत्म करने की मांग करना था।

हज़ारों लोग प्रधानमंत्री कार्यालय के बाहर जमा हुए और बर्तनों व तवों को पीटकर इज़रायल की ग़ाज़ा के खिलाफ नीतियों का विरोध किया। प्रदर्शनकारियों ने फ़िलस्तीन के झंडे लहराते हुए और हाथों में तख्तियाँ लेकर ब्रिटेन सरकार की तीव्र आलोचना की, जिसे वे ग़ाज़ा में इज़रायल के नरसंहार का समर्थन करने वाला मानते हैं।

यह विरोध ऐसे हालात में हुआ जब ग़ाज़ा के बहुत से फ़िलस्तीनी एक मजबूर और दर्दनाक चुनाव का सामना कर रहे हैं: या तो भुखमरी से मौत, या रोटी की तलाश में गोली खाकर जान देना। अब तक सिर्फ भूख के कारण 122 लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें 83 बच्चे शामिल हैं। ग़ाज़ा में महीनों से जारी नाकाबंदी और सैन्य हमलों ने हालात ऐसे बना दिए हैं कि खाना, पानी, दवाइयां—सब कुछ एक सपना बन चुका है। पर इससे भी ज़्यादा खतरनाक है वो रणनीति जिसमें “भूख” को एक युद्ध के औजार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। इज़रायली फौज ने जानबूझकर फ़िलस्तीनी आबादी की सप्लाई लाइनों को काटा, खेतों को नष्ट किया, और खाने के काफ़िलों पर बमबारी की। यह कोई अनजा

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