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अफ़ग़ानिस्तान–पाकिस्तान झड़प में काबुल का दावा: 58 पाकिस्तानी सैनिकों मारे गए

अफ़ग़ानिस्तान–पाकिस्तान झड़प में काबुल का दावा: 58 पाकिस्तानी सैनिकों मारे गए

काबुल से मिली ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, अफ़ग़ान सरकार के प्रवक्ता ज़बीउल्लाह मुजाहिद ने दावा किया है कि 11 अक्तूबर की रात अफ़गान सुरक्षा बलों और पाकिस्तानी सेना के बीच हुई भारी झड़प में पाकिस्तान के 58 सैनिक मारे गए और 30 घायल हुए। मुजाहिद के मुताबिक़, अफ़ग़ान बलों के भी 20 से अधिक जवान शहीद या घायल हुए हैं, जबकि कई पाकिस्तानी ठिकाने तबाह हुए और बड़ी मात्रा में हथियार तालिबान बलों के हाथ लगे हैं।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुजाहिद ने पाकिस्तान पर इस्लामिक स्टेट–ख़ुरासान प्रांत (ISKP) के आतंकवादियों को प्रशिक्षण देने और उन्हें अपनी भूमि पर शरण देने का गंभीर आरोप लगाया। उनका कहना था कि ये आतंकवादी कराची और इस्लामाबाद एयरपोर्ट से प्रशिक्षित होकर अफ़ग़ानिस्तान भेजे जाते हैं, और हाल में तेहरान व मॉस्को में हुए हमलों की योजना भी इन्हीं पाकिस्तानी ठिकानों से बनाई गई थी।

अफ़ग़ान प्रवक्ता ने बताया कि सरकार ने ड्यूरंड लाइन पर नियंत्रण मज़बूत किया है और सीमा सुरक्षा के लिए नए कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि “अफ़ग़ानिस्तान की सुरक्षा स्थिति अब बेहतर से बेहतरीन अवस्था में है” और पिछले आठ महीनों में कोई बड़ा सुरक्षा या राजनीतिक संकट उत्पन्न नहीं हुआ। मुजाहिद के अनुसार, पड़ोसी देशों से की गई आतंकी कोशिशों का करारा जवाब दिया गया है और ज़िम्मेदार तत्वों को या तो मारा गया या गिरफ़्तार किया गया है।

प्रवक्ता ने पाकिस्तान से मांग की कि ISKP के शीर्ष नेताओं — शहाब अल-मुहाजिर, अब्दुल हकीम तौहीदी, सुल्तान अज़ीज़ अज़्ज़ाम और सलाहुद्दीन रजब — को या तो अफ़ग़ानिस्तान को सौंपा जाए या देश से निष्कासित किया जाए। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इस मांग को नज़रअंदाज़ किया गया तो “गंभीर और अप्रत्याशित परिणाम” सामने आ सकते हैं।

अफ़ग़ान रक्षा मंत्रालय ने भी बयान जारी कर कहा कि यदि पाकिस्तान ने सीमा उल्लंघन दोहराया तो अफ़ग़ान सेना “पूरी तैयारी और दृढ़ संकल्प” के साथ जवाब देगी। घटनाओं के बाद तोरख़ाम बॉर्डर और अन्य प्रमुख सीमा क्रॉसिंग बंद कर दी गई हैं।

ग़ौरतलब है कि तालिबान के 2021 में सत्ता में लौटने के बाद से अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के रिश्ते लगातार तनावपूर्ण बने हुए हैं। पाकिस्तान जहाँ अफ़ग़ान भूमि पर आतंकी ठिकानों का आरोप लगाता है, वहीं काबुल सरकार इन आरोपों को राजनीतिक प्रोपेगैंडा बताती है। ड्यूरंड लाइन के 2,611 किलोमीटर लंबे सीमांत पर दोनों देशों के बीच यह खींचतान एक बार फिर टकराव की नई शक्ल ले चुकी है।

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