इज़रायल और हमास के बीच क़ाहिरा में अहम बातचीत
ग़ाज़ा पर जारी बमबारी के बीच, मिस्र की मध्यस्थता में इज़रायल और हमास के प्रतिनिधिमंडल क़ाहिरा पहुंचे हैं, जहां दोनों पक्ष अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रस्तावित योजना के तहत युद्ध-विराम और क़ैदियों की अदला-बदली पर बातचीत कर रहे हैं।
इज़राइली अख़बार यदिओत अहरोनोत ने अपनी आज की रिपोर्ट में लिखा है कि ग़ाज़ा में युद्ध-विराम लागू होने की उलटी गिनती शुरू हो चुकी है। रिपोर्ट के मुताबिक़, इज़रायल के रणनीतिक मामलों के मंत्री रॉन डर्मर की अगुवाई में एक विशेष इज़रायली प्रतिनिधिमंडल आज मिस्र के लिए रवाना हो रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है: “निर्णायक घंटे सामने हैं; प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को उम्मीद है कि, यहूदी त्योहार समाप्त होते ही क़ैदियों की वापसी की घोषणा की जा सकेगी। इसी मुद्दे पर चर्चा के लिए इज़रायली प्रतिनिधिमंडल मिस्र जाएगा।”
यहां जिस त्योहार का ज़िक्र है, वह यहूदी पर्व ‘सुक्कोत’ (Sukkot) है, जो वर्ष 2025 में 8 अक्टूबर बुधवार की शाम से शुरू होकर 15 अक्टूबर बुधवार की शाम तक चलेगा। यहूदी धर्म में यह एक बहुत अहम धार्मिक त्योहार है, जो आमतौर पर सार्वजनिक छुट्टियों और धार्मिक आयोजनों के साथ मनाया जाता है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि हम सुक्कोत त्योहार के दौरान सभी बंदियों की वापसी की घोषणा कर सकेंगे, जबकि हमारी सेनाएं अब भी ग़ाज़ा के भीतर अपने मोर्चों पर कायम रहेंगी।”
हिब्रू वेबसाइट वाला के मुताबिक़, इज़रायली वार्ता प्रतिनिधिमंडल में रॉन डर्मर के अलावा रिटायर्ड ब्रिगेडियर गाल हिर्श (बंधकों और लापता व्यक्तियों के समन्वयक), नेतन्याहू के राजनीतिक सलाहकार ओफिर फालक, शिन बेट (Shabak) और मोसाद (Mossad) के वरिष्ठ अधिकारी तथा इज़रायली सेना के सैन्य विशेषज्ञ शामिल हैं।
इज़रायल के चैनल 12 ने सऊदी चैनल अल-शरक के हवाले से रिपोर्ट दी है कि, दोहा में हत्या की कोशिश के बाद खलील अल-हया की पहली तस्वीर सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, खलील अल-हया के नेतृत्व में हमास का एक प्रतिनिधिमंडल आज क़ाहिरा पहुंचेगा। हमास इस युद्ध को समाप्त करने के लिए एक समझौते की दिशा में आगे बढ़ने की इच्छा रखता है।
लगभग दो साल से जारी इज़रायल और फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध गुटों के बीच सशस्त्र संघर्ष को देखते हुए, क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर युद्ध-विराम समझौते की कोशिशें तेज़ हो गई हैं। मिस्र, जो इन वार्ताओं में मुख्य मध्यस्थ है, एक बार फिर दोनों पक्षों के प्रतिनिधिमंडलों की मेज़बानी कर रहा है ताकि, युद्ध-विराम और क़ैदियों की अदला-बदली के लिए रास्ता निकाला जा सके। यह वही प्रस्ताव है जिसे ट्रंप प्रशासन ने पेश किया था।
इज़रायल के भीतर जारी राजनीतिक दबाव और जनमत की बढ़ती नाराज़गी ने नेतन्याहू सरकार को समझौते की ओर धकेला है। अब जबकि दोनों प्रतिनिधिमंडल एक साथ क़ाहिरा में मौजूद हैं और समझौते पर पहुँचने की इच्छा ज़ाहिर कर रहे हैं, आने वाले घंटे ग़ाज़ा युद्ध के भविष्य के लिए निर्णायक माने जा रहे हैं।
हालाँकि कई अहम मतभेद अभी भी मौजूद हैं, लेकिन उम्मीद की जा रही है कि यह वार्ता हिंसा की समाप्ति और एक नए राजनीतिक चरण की शुरुआत का रास्ता खोल सकती है। अब देखना यह है कि क्या यह कोशिशें किसी स्थायी समझौते तक पहुँचती हैं या क्षेत्र एक बार फिर नई झड़पों का गवाह बनता है।

