अगर हमास ने समझौते का पालन नहीं किया तो जल्द खत्म हो जाएगा: ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार तड़के एक बार फिर फ़िलिस्तीनी प्रतिरोध संगठन हमास के ख़िलाफ़ सख़्त लहजे में बयान दिया। व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि “हमास एक बुरा संगठन है और अगर उसने समझौते का पालन नहीं किया तो वह बहुत जल्द मिट जाएगा।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब ग़ाज़ा में जारी संघर्ष और संभावित युद्ध-विराम को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बातचीत चल रही है। डोनाल्ड ट्रंप के इस बयान ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि, क्या अमेरिका वास्तव में शांति चाहता है या वह इज़रायल के पक्ष में एकतरफ़ा दबाव बना रहा है।
स्पुतनिक न्यूज़ एजेंसी के मुताबिक़, ट्रंप ने यह भी दावा किया कि “अमेरिका ने अब मध्य पूर्व में शांति हासिल कर ली है और हम आने वाली और बड़ी सफलताओं की उम्मीद कर रहे हैं।” विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप का यह बयान इज़रायल को राजनीतिक समर्थन देने के लिए दिया गया है, खासकर उस समय जब ग़ाज़ा में हालात बेहद नाज़ुक हैं और मानवाधिकार संगठनों ने इज़रायली हमलों को लेकर चिंता जताई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि ट्रंप, ट्रंप के बयान से एक बार फिर यह स्पष्ट हो गया है कि वॉशिंगटन प्रशासन, हमास और फ़िलिस्तीन के मुद्दे पर निष्पक्ष नहीं है। अमेरिका लंबे समय से इज़रायल का सबसे बड़ा सहयोगी रहा है और उसकी नीतियां अक्सर फ़िलिस्तीनी जनता के हितों के ख़िलाफ़ जाती रही हैं।
ट्रंप की यह टिप्पणी न केवल फ़िलिस्तीन समर्थक देशों में आक्रोश पैदा कर सकती है, बल्कि यह आने वाले शांति प्रयासों पर भी असर डाल सकती है। कई पर्यवेक्षकों का मानना है कि ऐसे बयानों से क्षेत्र में तनाव और बढ़ेगा और अमेरिका की “मध्य पूर्व शांति” की बातें सिर्फ़ राजनीतिक दिखावा साबित होंगी। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नज़र अब इस बात पर है कि ट्रंप प्रशासन इस बयान के बाद क्या व्यावहारिक कदम उठाता है — शांति की ओर या फिर नए तनाव की ओर।

