ग़ाज़ा में मानवीय सहायता की एंट्री, महीनों बाद राहत की उम्मीद
कई महीनों की नाकेबंदी और भुखमरी झेलने के बाद आखिरकार ग़ाज़ा पट्टी में मानवीय सहायता की एंट्री शुरू हो गई है। रविवार दोपहर को सैकड़ों ट्रकों का एक बड़ा काफ़िला ग़ाज़ा में दाख़िल हुआ, जिसने वहां फंसे लाखों लोगों के लिए राहत की उम्मीद जगाई है।
अल जज़ीरा की रिपोर्ट के अनुसार, मिस्र की रेड क्रिसेंट संस्था ने बताया कि सहायता से भरे ट्रक सुबह रफ़ा बॉर्डर से क़ब्ज़ा किए गए इलाक़ों में दाख़िल हुए और फिर “अल-अउजा” और “कर्म अबू सालेम” बॉर्डर पॉइंट्स से ग़ाज़ा की ओर रवाना हुए। रेड क्रिसेंट के मुताबिक, आज लगभग 400 ट्रक करीब 9,000 टन मानवीय सामान लेकर ग़ज़ा पहुंचेंगे।
ये मदद ऐसे समय पर पहुंच रही है जब महीनों से जारी इज़रायली नाकेबंदी के कारण ग़ाज़ा में मानवीय संकट गहराता जा रहा था। इज़रायल अब तक वैश्विक दबाव को कम करने के लिए केवल सीमित और प्रतीकात्मक रूप से मदद की अनुमति देता रहा है। लेकिन युद्ध-विराम समझौते के बाद पहली बार इतनी बड़ी मात्रा में सहायता भेजी जा रही है।
ग़ाज़ा पट्टी दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले इलाक़ों में से एक है। यहां लंबे समय से जारी इज़रायली नाकेबंदी और हालिया युद्ध ने एक भयानक मानवीय आपदा को जन्म दिया है। भोजन, दवाओं, ईंधन और साफ़ पानी की कमी ने वहां के नागरिकों की ज़िंदगी को मुश्किल बना दिया है।
ग़ाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, अब तक लगभग 500 फ़िलिस्तीनी, जिनमें 150 से अधिक बच्चे शामिल हैं, भुखमरी और कुपोषण से अपनी जान गंवा चुके हैं। अस्पतालों में दवाइयों की कमी, बिजली संकट और नष्ट हुए स्वास्थ्य ढांचे ने स्थिति को और बिगाड़ दिया है।
ग़ाज़ा के लिए यह सहायता काफ़िला युद्ध-विराम समझौते का हिस्सा है और लोगों को उम्मीद है कि यह केवल एक शुरुआत होगी, जिससे वहां की मानवीय त्रासदी को कम किया जा सके। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक नाकेबंदी पूरी तरह नहीं हटाई जाती, ग़ाज़ा की स्थिति में स्थायी सुधार की संभावना कम ही है।

