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व्हाइट हाउस की इज़रायल-केन्द्रित नीतियों पर वैश्विक नाराज़गी

व्हाइट हाउस की इज़रायल-केन्द्रित नीतियों पर वैश्विक नाराज़गी

डोनाल्ड ट्रंप की वेनेज़ुएला के आक्रामक आक्रामक नीति सालों से “लोकतंत्र बचाने”, “भ्रष्टाचार से लड़ने” और “नशीले पदार्थों पर काबू पाने” जैसे तर्कों के सहारे जायज़ ठहराई जाती रही है। हालांकि, कई अंतरराष्ट्रीय सोशल मीडिया एक्टिविस्ट मानते हैं कि यह आधिकारिक कथा केवल इज़रायल के हितों की पूर्ति को छिपाने का रास्ता है।

फार्स न्यूज एजेंसी के अनुसार, कई अंतरराष्ट्रीय यूज़र्स का मानना है कि अमेरिकी राष्ट्रपति, विशेषकर ट्रंप, अक्सर “अमेरिका के राष्ट्रीय हितों को इज़रायल की सुरक्षा और हितों के लिए बलि चढ़ाते रहे हैं।” उनका कहना है कि, अमेरिका की विदेश नीति अब इज़रायल के अनुरूप हो गई है और ट्रंप के चुनावी नारे “अमेरिका प्रथम” को व्यवहार में “इज़राइल प्रथम” नीति ने बदल दिया।

एक अमेरिकी इन्फ्लुएंसर ने हाल ही में इज़रायली समाचार पोर्टल “इज़रायल हयूम” की रिपोर्ट साझा करते हुए लिखा कि इस मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, “इज़रायल ही ट्रंप पर वेनेज़ुएला में शासन परिवर्तन के लिए दबाव डाल रहा है।”

ट्रंप “अमेरिका प्रथम ” के नारे के साथ सत्ता में आए, लेकिन उनकी कई प्रमुख विदेश नीति निर्णय—जैसे अमेरिकी दूतावास को यरुशलम में स्थानांतरित करना, ईरान परमाणु समझौते (जेसीपीओ ) से बाहर निकलना और ईरान पर प्रतिबंधों को बढ़ाना—अमेरिकी जनता के हितों के बजाय इज़रायल की सुरक्षा हितों के अनुकूल रहे।

सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस रिपोर्ट को अमेरिकी सरकार की “इज़रायल के प्रति दासता” का प्रमाण बताया और इस बात पर जोर दिया कि “इज़रायल अमेरिकी विदेश नीति पर असाधारण शक्ति और दबाव रखता है।” इस पूरे विवाद ने वैश्विक स्तर पर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या अमेरिकी विदेश नीति वास्तव में अपने नागरिकों के हितों के लिए है या इज़रायल के हितों के अनुरूप।

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