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इज़रायली हमले पर जर्मन चांसलर का बयान, शर्मनाक: वामपंथी पार्टी

इज़रायली हमले पर जर्मन चांसलर का बयान, शर्मनाक: वामपंथी पार्टी
हाल ही में कनाडा में G7 बैठक के दौरान जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ द्वारा इज़रायल के उस सैन्य अभियान का समर्थन किया गया, जिसका उद्देश्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को खत्म करना था। उनके इस बयान की जर्मनी के वामपंथी और यहां तक कि कुछ दक्षिणपंथी राजनेताओं ने भी आलोचना की है। जर्मन टीवी चैनल ZDF से बातचीत में मर्ज़ ने ईरान सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए कहा: “हम भी इस शासन से नुकसान झेल चुके हैं। यह सरकार हमलों, हत्याओं और विनाश के माध्यम से हिज़्बुल्लाह और हमास के साथ मिलकर दुनिया में तबाही ला रही है।”
चांसलर मर्ज़ ने इस इंटरव्यू में आगे कहा: “मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि मुझे इज़रायली सेना और उनकी राजनीतिक नेतृत्व की इस हिम्मत की बेहद सराहना है कि उन्होंने यह कदम उठाया। हालांकि उन्होंने अपने इस बयान में एक बार भी ग़ाज़ा नरसंहार और भूखमरी के लिए इज़रायल की निंदा नहीं की। उनके इस बयान से उनका दोहरा चरित्र और पाखंड खुलकर दुनियां के सामने आ गया। उन्होंने कभी भी ग़ाज़ा की तबाही के लिए नेतन्याहू प्रशासन की आलोचना नहीं की।
वामपंथी पार्टी के नेताओं ने उनके बयान को शर्मनाक बताया 
वामपंथी पार्टी के कुछ नेताओं ने इस बयान को “एक शर्मनाक बात” कहा है, जबकि ग्रीन पार्टी का मानना है कि चांसलर को अपने शब्दों का चयन सोच-समझकर करना चाहिए था। कई नेताओं ने इसे कूटनीतिक रूप से अनुचित, साफ-साफ चिंताजनक और गैर-जिम्मेदाराना बताया है।
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार इज़रायल की यह कार्रवाई “रक्षात्मक हमला” नहीं मानी जा सकती, क्योंकि कानूनन ऐसा हमला तभी वैध होता है जब सामने से तत्काल हमले का खतरा हो, न कि कोई काल्पनिक भविष्य की आशंका। ऐसा प्रतीत होता है कि जर्मन चांसलर अब कूटनीतिक प्रयासों से निराश हो चुके हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा: “बीते दशकों की कूटनीतिक कोशिशें नाकाम रही हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि भले ही अमेरिका इस वार्ता से पहले ही बाहर हो गया था, यूरोपीय देश अब तक उसमें बने हुए थे, लेकिन हालिया घटनाओं ने इन उम्मीदों को खत्म कर दिया।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, मर्ज़ के बयान जर्मनी की पारंपरिक ईरान नीति से एक स्पष्ट विचलन का संकेत हैं। अतीत में जर्मनी ने बार-बार ईरान के साथ परमाणु समझौते के समर्थन में कूटनीतिक कोशिशें की थीं, खासकर जब अमेरिका 2018 में ट्रंप सरकार के दौरान इससे हट गया था। इसके बावजूद सोशल डेमोक्रेट पार्टी के विदेश नीति प्रवक्ता ने मर्ज़ की आलोचना करते हुए कहा: “इस नाज़ुक हालात में तनाव कम करना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। लेकिन चांसलर की भाषा ने भ्रम और बेचैनी पैदा की है।”
वामपंथी पार्टी के नेता ज़ोर्न पेलमैन ने मर्ज़ पर आरोप लगाया कि वह “जर्मनी की साख को नुकसान पहुंचा रहे हैं” और “अंतरराष्ट्रीय कानून की धज्जियां उड़ाकर उस सोच को बढ़ावा दे रहे हैं जिसमें ताकतवर ही सही होता है।” ग्रीन पार्टी की विदेश नीति प्रवक्ता डेबोरा ड्योरिंग ने मर्ज़ के बयान को “निर्दोष नागरिकों की मौत के संदर्भ में क्रूर और अस्वीकार्य” बताया और कहा: “इस वक्त क्षेत्र में नागरिकों की सुरक्षा और तनाव कम करने के लिए कूटनीति की जरूरत है, लेकिन चांसलर मर्ज़ इसके उलट कर रहे हैं। उनके शब्द खतरनाक हैं।”
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