Site icon ISCPress

दूसरों के मुक़ाबले चीन को सबसे ज़्यादा हमारी ज़रूरत है: डोनाल्ड ट्रंप

दूसरों के मुक़ाबले चीन को सबसे ज़्यादा हमारी ज़रूरत है: डोनाल्ड ट्रंप

अमेरिकी राजनीति में हमेशा सुर्खियों में रहने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार की रात एक बार फिर अपने बयानों से अंतरराष्ट्रीय हलक़ों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया। व्हाइट हाउस में मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने चीन, रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका के आंतरिक हालात पर विस्तार से अपनी राय रखी।

सबसे पहले ट्रंप ने चीन पर निशाना साधते हुए दावा किया कि, बीजिंग दूसरों की तुलना में अमेरिका की कहीं अधिक ज़रूरत है। उनके शब्दों में: “ जितनी हमें उनकी है ज़रुरत है, चीन को उससे कहीं अधिक हमारी ज़रूरत है, ।” यह बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक रिश्तों, टेक्नोलॉजी और भू-राजनीतिक मामलों पर गहरी तनातनी बनी हुई है। ट्रंप के इस कथन को चीन पर दबाव बनाने की रणनीति के तौर पर देखा जा रहा है, ख़ासकर तब जब दोनों देशों के बीच इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा और तनाव तेज़ है।

इसके बाद ट्रंप ने रूस और यूक्रेन के चल रहे युद्ध का ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से इस संघर्ष पर बारीकी से नज़र रख रहे हैं और निकट भविष्य में इससे संबंधित कुछ अहम खबरें सामने आएंगी। उनके इस बयान से यह संकेत मिलता है कि, अमेरिका की राजनीति में रूस-यूक्रेन युद्ध अब भी एक महत्वपूर्ण चुनावी और रणनीतिक मुद्दा बना हुआ है। ट्रंप पहले भी यह कहते रहे हैं कि अगर वे सत्ता में होते तो यह युद्ध शुरू ही नहीं होता।

जो कुछ मैंने वॉशिंगटन में किया, वही मैं दूसरे शहरों में भी करूंगा: ट्रंप
अमेरिकी आंतरिक राजनीति पर बोलते हुए ट्रंप ने वॉशिंगटन में अपनी कार्यशैली को याद किया और कहा कि वह देश के अन्य शहरों में भी वही तरीक़ा अपनाना चाहते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनका मक़सद हालात पर काबू पाना और अपराध को पूरी तरह ख़त्म करना है। उनके अनुसार: “जो कुछ मैंने वॉशिंगटन में किया है, वही मैं दूसरे शहरों में भी करूंगा, जब तक कि हालात पूरी तरह नियंत्रण में न आ जाएं।” इस बयान को लेकर अमेरिकी राजनीतिक हलकों में बहस छिड़ गई है क्योंकि ट्रंप की नीतियों को अक्सर सख़्त और विवादास्पद माना जाता है।

कुल मिलाकर, ट्रंप के बयानों से एक बार फिर यह साफ़ हो गया है कि, वह खुद को न सिर्फ़ अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया की राजनीति का केंद्र मानते हैं। चीन को लेकर उनकी आक्रामक भाषा, रूस-यूक्रेन युद्ध पर संकेत और अमेरिका के आंतरिक हालात पर कठोर रवैया – ये सब मिलकर उनके राजनीतिक एजेंडे की झलक दिखाते हैं। आने वाले दिनों में देखना दिलचस्प होगा कि उनके ये बयानों का असर घरेलू राजनीति, अंतरराष्ट्रीय रिश्तों और 2024 के चुनाव पर किस तरह पड़ता है।

Exit mobile version