ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने फ़िलिस्तीन को मान्यता दी
संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के बीच न्यूयॉर्क में रविवार को ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ने अलग-अलग बयानों में औपचारिक रूप से फ़िलिस्तीन को एक देश के रूप में मान्यता दी।
कनाडा का ऐलान
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने अपने बयान में कहा, “कनाडा मानता है कि अब और इंतज़ार करना संभव नहीं है, क्योंकि इज़रायल और फ़िलिस्तीन विवाद के दो-राष्ट्र समाधान की संभावना ख़त्म होती जा रही है।”
उन्होंने इज़रायल की बस्तियाँ बनाने की नीति पर कहा, “मौजूदा इज़रायली सरकार योजनाबद्ध तरीके से फ़िलिस्तीन के निर्माण में रुकावट डाल रही है। यह सरकार पश्चिमी तट पर लगातार अवैध बस्तियाँ बसाने की नीति चला रही है, जो अंतरराष्ट्रीय क़ानून के मुताबिक ग़ैरक़ानूनी है।”
कार्नी ने आगे कहा, “ग़ाज़ा पर लगातार हमलों में हज़ारों निर्दोष मारे गए, एक मिलियन से ज़्यादा लोग विस्थापित हुए और एक ऐसी भुखमरी फैली जिसे रोका जा सकता था। यह अंतरराष्ट्रीय क़ानून का खुला उल्लंघन है।” उन्होंने कहा कि कनाडा अब फ़िलिस्तीन को मान्यता देता है और दोनों देशों (फ़िलिस्तीन और इज़रायल ) के लिए शांतिपूर्ण भविष्य बनाने में सहयोग करेगा।
ऑस्ट्रेलिया का फैसला
ऑस्ट्रेलिया ने भी औपचारिक रूप से फ़िलिस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में मान्यता दी। यह निर्णय ऐसे समय लिया गया जब प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ संयुक्त राष्ट्र महासभा की 80वीं बैठक में शामिल होने अमेरिका पहुँचे। इस फैसले से ऑस्ट्रेलिया उन 140 से अधिक देशों की सूची में शामिल हो गया जिन्होंने पहले ही फ़िलिस्तीन को मान्यता दी है।
कैनबरा सरकार ने बयान में कहा, “ऑस्ट्रेलिया फ़िलिस्तीनी जनता की स्वतंत्र देश की वैध और पुरानी आकांक्षाओं को मान्यता देता है। यह कदम हमारे लंबे समय से चले आ रहे दो-राष्ट्र समाधान के समर्थन को दिखाता है, जो इज़रायल और फ़िलिस्तीन दोनों के लिए शांति और स्थायी सुरक्षा का एकमात्र रास्ता है।”
ऑस्ट्रेलिया ने यह भी घोषणा की कि वह फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण के नेता महमूद अब्बास को राष्ट्रपति के रूप में मान्यता देता है। हालांकि पूर्ण राजनयिक संबंध (जैसे दूतावास खोलना) तभी स्थापित होंगे जब फ़िलिस्तीनी प्राधिकरण वित्तीय, प्रशासनिक और शैक्षणिक क्षेत्रों में सुधार करेगा, चुनाव कराएगा और इज़रायल के अस्तित्व को मान्यता देगा।
इसके साथ ही ऑस्ट्रेलिया ने फिर दोहराया कि हमास एक “आतंकी संगठन” है और उसका फ़िलिस्तीन के भविष्य में कोई स्थान नहीं होना चाहिए।
ब्रिटेन का ऐलान
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने भी कनाडा और ऑस्ट्रेलिया के साथ कदम मिलाते हुए घोषणा की कि उनका देश अब फ़िलिस्तीन को मान्यता देता है। लंदन ने अपने बयान में कहा, “ब्रिटेन औपचारिक रूप से फ़िलिस्तीन को मान्यता देता है। यह फैसला कनाडा और ऑस्ट्रेलिया की तरह, दो-राष्ट्र समाधान की उम्मीद को ज़िंदा रखने के लिए है।”
बयान में यह भी कहा गया कि, “यह फैसला किसी तरह से हमास को इनाम नहीं है, बल्कि यह स्पष्ट संदेश है कि भविष्य में हमास का कोई स्थान नहीं होगा। ग़ाज़ा में जारी असहनीय तबाही को अब रोकना होगा।”
ब्रिटेन ने पहले ही इज़रायल को चेतावनी दी थी कि, अगर सितंबर तक ग़ाज़ा में तुरंत युद्ध-विराम नहीं हुआ तो वह फ़िलिस्तीन को मान्यता देगा। इज़रायल द्वारा इस शर्त को न मानने पर ब्रिटेन ने अपना वादा पूरा किया।
फ्रांस भी तैयार
सूत्रों के अनुसार, फ्रांस भी संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक में फ़िलिस्तीन को मान्यता देने की तैयारी कर रहा है। यह फैसला ग़ाज़ा युद्ध और वहाँ फैली भुखमरी पर बढ़ती वैश्विक चिंता के बीच लिया जा रहा है।ब्रिटेन, कनाडा और ऑस्ट्रेलिया द्वारा फ़िलिस्तीन को मान्यता देना इज़रायल पर दबाव बढ़ा सकता है। इससे पहले भी 140 से अधिक देश फ़िलिस्तीन को मान्यता दे चुके हैं।

