फ़्रांस के बाद कनाडा ने भी फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के गठन का समर्थन किया
फ़िलिस्तीन को एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता दिलाने की वैश्विक मुहिम को एक और बड़ी ताक़त का समर्थन मिला है। फ्रांस के बाद अब कनाडा ने भी ऐलान किया है कि वह एक स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राष्ट्र के गठन की प्रक्रिया में सक्रिय रूप से हिस्सा लेगा। यह ऐलान उस वक्त आया है जब ग़ाज़ा में मानवता एक गहरे संकट से गुज़र रही है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर फ़िलिस्तीनी जनता की दुर्दशा को लेकर दबाव बढ़ रहा है।
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने शुक्रवार सुबह अपने आधिकारिक सोशल मीडिया पेज पर लिखा:
“कनाडा दो-राष्ट्र समाधान का समर्थन करता है, जो इज़रायली और फ़िलिस्तीनी नागरिकों के लिए शांति और सुरक्षा सुनिश्चित करे। हम इस लक्ष्य को पाने के लिए हर अंतरराष्ट्रीय मंच पर सक्रिय रहेंगे, जिसमें आने वाले सप्ताह में संयुक्त राष्ट्र में आयोजित होने वाला उच्च स्तरीय सम्मेलन भी शामिल है, जहाँ हमारी विदेश मंत्री हिस्सा लेंगी।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब कई यूरोपीय देश भी इस दिशा में खुलकर सामने आ रहे हैं। पिछले साल आयरलैंड, नॉर्वे, स्पेन और आर्मेनिया समेत दस देशों ने फ़िलिस्तीन को आधिकारिक मान्यता दी थी। अब तक कुल 147 देश फ़िलिस्तीन को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में स्वीकार कर चुके हैं, लेकिन अमेरिका अब भी इस सूची में शामिल नहीं है।
अमेरिका का विरोध और पश्चिमी दोहरापन
गौरतलब है कि साल 2024 में जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने फ़िलिस्तीन की पूर्ण सदस्यता का प्रस्ताव रखा, तो अमेरिका ने वीटो का इस्तेमाल करते हुए इस कोशिश को नाकाम कर दिया। यह कदम उस वक्त आया जब ग़ाज़ा में इज़रायली बमबारी के चलते हजारों निर्दोष नागरिकों की जान जा चुकी थी, और दुनिया भर में फ़िलिस्तीन के समर्थन में आवाज़े तेज़ हो रही थीं।
हालांकि कनाडा अमेरिका का पारंपरिक सहयोगी रहा है, लेकिन अब लगता है कि फ़िलिस्तीन के मसले पर कनाडा एक स्वतंत्र और संतुलित रुख़ अपनाने की कोशिश कर रहा है। विश्लेषकों का मानना है कि कनाडा जैसे देश की तरफ से यह बयान इज़रायल पर राजनयिक दबाव बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। साथ ही यह उन देशों को भी प्रेरित कर सकता है जो अब तक तटस्थ रुख़ अपनाए हुए थे।
फ़िलिस्तीनी संघर्ष को मिल रहा वैश्विक समर्थन
ग़ाज़ा पट्टी में जारी मानवीय त्रासदी के चलते फ़िलिस्तीन को लेकर वैश्विक दृष्टिकोण में तेज़ी से बदलाव आ रहा है। लाखों बेघर, भूखे और घायल लोगों की मदद की गुहार ने विश्व समुदाय को झकझोर दिया है। इसी पृष्ठभूमि में अब पश्चिमी देशों के बीच भी यह स्वीकार्यता बढ़ रही है कि स्थायी शांति के लिए एक स्वतंत्र फ़िलिस्तीनी राष्ट्र का गठन अनिवार्य है।

