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बीजिंग शीत ओलंपिक के बाद क्या चीन करेगा ताइवान पर हमला ?

बीजिंग शीत ओलंपिक के बाद क्या चीन करेगा ताइवान पर हमला ?

यूक्रेन- रूस तनाव के बीच चीन द्वारा मास्को का खुला समर्थन और रूस की ओर से ताइवान को चीन का अंग बताए जाने के बाद ताइवान चीन विवाद को लेकर अटकलों का दौर जारी हो गया है ।

बीजिंग शीत ओलंपिक के बाद क्या चीन ताइवान पर हमला कर देगा ? इस बात को लेकर विशेषज्ञों ने अलग-अलग विचार प्रकट किए हैं। क्षेत्रीय विशेषज्ञों का कहना है कि ताइवान और चीन के बीच ऐसा खतरा वास्तविक है।

क्षेत्रीय विश्लेषकों का कहना है कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ताइवान पर हमला कर उसे चीन की मुख्य भूमि के साथ एकीकरण करने में सक्षम है । अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के सदस्य माइकल मैकॉल ने इस संबंध में दो टूक बयान दिया है जिसके बाद एशिया प्रशांत क्षेत्र में यह आशंका गहरा गई है कि चीन शीतकालीन ओलंपिक के बाद ताइवान पर हमला कर सकता है ।

बता दें कि बीजिंग में शीतकालीन ओलंपिक 4 फरवरी से शुरू होकर 20 फरवरी तक जारी रहेगा। भारत, इंग्लैंड और अमेरिका ने बीजिंग शीतकालीन ओलंपिक का राजनयिक बहिष्कार किया है।

रक्षा विशेषज्ञों से बातचीत पर आधारित एक विश्लेषण प्रकाशित करते हुए एशिया टाइम्स ने आशंका जताई है कि चीन संभवत: ताइवान पर उस तरह हमला ना करे जिस तरह का अनुमान लगाया जा रहा है। वह बिना किसी शोर-शराबे के ताइवान का चीन की मुख्य भूमि के साथ एकीकरण करने के लिए कोई कार्यवाही कर सकता है । चीन किसी ऐसी कार्यवाही का सहारा ले सकता है जिससे अमेरिका के लिए असहज स्थितियां पैदा हो जाएं । चीन अपनी कार्रवाई के साथ दुनिया, विशेषकर ताइवान की जनता को यह मैसेज दे सकता है कि अमेरिका हजार दावों के बावजूद चीन के मुकाबले ताइवान की रक्षा करने में सक्षम नहीं है।

रूस यूक्रेन तनाव का हवाला देते हुए कुछ जानकारों का कहना है कि चीन ताइवान के मामले में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नीतियों का अनुसरण कर सकता है। पुतिन ने अमेरिका और यूरोपीय देशों को यूक्रेन मुद्दे पर उलझा कर रख दिया है। विश्लेषकों का कहना है कि यूक्रेन मुद्दे पर पुतिन ने दबाव बढ़ाकर अमेरिका और यूरोपीय देशों को असहज कर दिया है।

पुतिन अपनी रणनीति के तहत अमेरिका की कमजोरियों को बेनकाब करने की कोशिश में है। साथ ही वह अमेरिकी नीत नाटो गठबंधन में फूट डालने की रणनीति पर चल रहे हैं। कहा जा रहा है कि चीन भी पुतिन की नीतियों का अनुसरण करते हुए ताइवान पर शायद ही सैन्य हमला करे, लेकिन वह उसके किसी एक द्वीप पर अपनी सेना भेज सकता है ,

राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने सैन्य विशेषज्ञों के साथ ताइवान मुद्दे पर कई बैठक कर चुके हैं। अनुमान यह भी लगाया जा रहा है कि अगर रूस और अमेरिका, सचमुच यूक्रेन के मुद्दे पर सैन्य टकराव की ओर बढ़ते हैं तो चीन मौके का फायदा उठाते हुए ताइवान को अपने अधीन लेने की कोशिश कर सकता है।

चीन के प्रति रक्षा विश्लेषकों ने चेताते हुए कहा है कि एशिया प्रशांत क्षेत्र में अब तक चीन अपनी नीतियों में सफल रहा है। इस क्षेत्र में उसका प्रभाव लगातार बढ़ रहा है। कहा जा रहा है कंबोडिया ने भी चीन को अपने यहां नौसैनिक अड्डा बनाने की इजाजत दे दी है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि ताइवान तो सिर्फ एक बहाना है। चीन का असली उद्देश्य अमेरिका को चुनौती देना है। अगर ताइवान के किसी भी क्षेत्र पर चीन कब्जा जमाने में सफल रहा तो इससे अमेरिका की साख को गहरा धक्का लगेगा।

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