हानिया की हत्या मामले में इज़रायल ने अमेरिकी अधिकारियों को सूचित किया था: वाशिंगटन पोस्ट
वॉशिंगटन: मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ईरान की राजधानी तेहरान में हमास के राजनीतिक प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या के मामले में इज़रायल ने अमेरिकी अधिकारियों को सूचित किया था। वाशिंगटन पोस्ट ने व्हाइट हाउस से जुड़े तीन लोगों का नाम लिए बिना उनके हवाले से दावा किया है कि हालांकि इज़रायल ने इस्माइल हानिया की हत्या पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन हमले के तुरंत बाद उसने अमेरिकी प्रशासन को सूचित कर हत्या की जिम्मेदारी ली थी।
अखबार ने आगे कहा कि “व्हाइट हाउस के अधिकारियों ने हानिया की हत्या पर हैरानी और नाराजगी व्यक्त की थी। उनका मानना था कि पिछले एक महीने से चल रहे शांति समझौते को इस घटना से गंभीर झटका लगेगा।”
इस्माइल हानिया, हमास के एक प्रमुख नेता थे, जो ग़ाज़ा पट्टी में राजनीतिक गतिविधियों का संचालन करते थे। उनकी शहादत ने मध्य पूर्व में पहले से ही तनावपूर्ण माहौल को और अधिक जटिल बना दिया है। वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, इस हमले के बारे में इज़रायल ने अमेरिकी अधिकारियों को पूर्व में सूचित नहीं किया था, जिससे अमेरिकी प्रशासन को गहरी नाराजगी हुई है।
अमेरिकी प्रतिक्रिया
वाशिंगटन पोस्ट ने आगे बताया कि पर्दे के पीछे इज़रायल और अमेरिकी प्रशासन के बीच मतभेद बढ़ता गया, जबकि अमेरिका इस युद्ध में पक्षपाती भूमिका निभाता आया है, जिसमें 40,000 से अधिक फिलिस्तीनी शहीद हो चुके हैं। अमेरिकी अधिकारियों ने इज़रायल द्वारा हिजबुल्लाह और ईरानी कमांडर की हत्या के संबंध में अमेरिका को सूचित न करने पर भी गंभीर नाराजगी व्यक्त की।
इस हत्या का प्रभाव
इस हत्या का असर व्यापक रूप से देखा जा सकता है। ईरान और हमास दोनों ने इस हमले के लिए इज़रायल को जिम्मेदार ठहराया है, लेकिन इज़रायल ने न तो इस पर कोई टिप्पणी की है और न ही इससे इनकार किया है। व्हाइट हाउस के अधिकारियों का मानना है कि इस घटना से पिछले एक महीने से जारी शांति प्रयासों को गंभीर झटका लगेगा और मध्य पूर्व में हिंसा और संघर्ष की स्थिति और बढ़ सकती है।
इस्माइल हानिया की हत्या ने मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता के प्रयासों को गहरा धक्का दिया है। इज़रायल और अमेरिका के बीच बढ़ते मतभेद और इस घटना के बाद की स्थिति ने अंतर्राष्ट्रीय राजनीति को और भी जटिल बना दिया है। इस घटना का प्रभाव आने वाले समय में और भी गहरा हो सकता है, जिससे शांति प्रयासों को और भी कठिनाई हो सकती है।