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परमाणु वार्ता में ईरान की शर्तों को अनदेखा नहीं किया जाएगा: अमेरिका

परमाणु वार्ता में ईरान के वापस आने की शर्तों को अनदेखा नहीं किया जाएगा: अमेरिका

2017 अमेरिका और उसके सहयोगी देश और ईरान के बीच हुए परमाणु करार से डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने को अलग कर लिया था लेकिन जो बाइडन के आने के बाद परमाणु वार्ता को दोबारा से शुरू किये जाने के संदेश मिल रहे थे जिसके बारे में ईरान के पिछली हुकूमत में अमेरिका के सहयोगी देशों के साथ वियाना में वार्ता भी हुई थी ईरान का कहना है कि अमेरिका ने अपने को इस करार से अलग किया था इसलिए अगर अमेरिका को दोबारा वार्ता में वापस आना है कि तो उसको पिछले नुकसान की भरपाई करना होगी। बता दें कि अमेरिका के इस क़रार से अलग हो जाने के बाद भी ईरान दो साल तक क़रार पर बाक़ी रहा था और सभी शर्तों को पूरा करता रहा था

ईरान ने नई सरकार आने के बाद अभी ये बैठक शुरू नहीं हुई है इसलिए अमेरिका और उसके सहयोगी देश ईरान पर बंद पड़ी परमाणु वार्ता को दोबारा शुरू करने और बातचीत के लिए राजी होने का दबाव बना रहे हैं।

इन देशों ने ईरान को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर वो अपना परमाणु कार्यक्रम जारी रखता है तो वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और अलग-थलग पड़ सकता है, उसे नए आर्थिक प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है और यहां तक की उसके खिलाफ सैन्य कार्रवाई भी की जा सकती है।

वाशिंगटन में इस सप्ताह अमेरिका, यूरोप, इस्राईल और अरब के अधिकारियों की राजनयिक स्तर की कई बैठकों में इस बात पर सहमति बनी कि ईरान को यह स्पष्ट कर दिया जाए कि वियाना में वार्ता में शामिल होने की उसकी लगातार इनिच्छा को अनदेखा नहीं किया जाएगा ।

बता दें कि ये सहमति उन चिंताओं के बीच बनी है कि तेहरान बातचीत करने का इच्छुक नहीं है,जिनका मकसद अमेरिका और ईरान को उन समझौतों की ओर वापस लाना है,जिनपर पर वर्ष 2015में सहमति बनी थी।

 

 

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