9/11 के दशकों बाद, अमेरिका में इस्लामोफोबिया से लड़ाई लड़ रहे हैं मुसलमान

9/11 के दशकों बाद, अमेरिका में इस्लामोफोबिया से लड़ाई लड़ रहे हैं मुसलमान

एफबीआई के आंकड़ों के अनुसार अमेरिका में मुसलमानों के खिलाफ घृणा अपराध 11 सितंबर 2001 के तुरंत बाद आसमान छू गए हैं और अभी भी ऊपर की ओर बढ़ रहे हैं।

लॉस एंजिलिस चैप्टर के कार्यकारी निदेशक हुसाम आयलौश ने बताया कि 9/11 के हमलों के बाद के वर्षों में इस्लामोफोबिया और मीडिया द्वारा बनाए गए रूढ़िवादों के परिणामस्वरूप मुसलमान नफरत, धमकाने और भेदभाव का लक्ष्य बने हुए हैं। हमलों के इक्कीस साल बाद भी मुसलमानों को लक्षित हिंसा के खतरे का सामना करना पड़ रहा है।

हुसाम आयलौश ने बताया कि दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता यह है कि ऐसे लोग और संगठन हैं जो इस्लामोफोबिया, कट्टरता और युद्ध को कायम रखने में रुचि रखते हैं और उनकी विचार धाराओं को बदला नहीं जा सकता है। आप को बता दें कि अमेरिकी प्रतिनिधि सभा में पारित हुए इस्लामोफोबिया बिल के तहत इस्लामोफोबिया की निगरानी और मुकाबला करने के लिए एक विशेष दूत की नियुक्ति होनी थी। इसके साथ ही दुनियाभर के देशों में इस्लामोफोबिया की वजह से मुस्लिमों के खिलाफ होने वाले मामलों को विभाग की वार्षिक रिपोर्ट में पेश किया जाना था।

ग़ौरतलब है कि हाल के बर्मिंघम सिटी यूनिवर्सिटी के प्रोफ़ेसर इमरान अवान और रोक्साना ख़ान-विलियम्स द्वारा किए गए एक अध्ययन में ये बात सामने आई है कि मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत फ़ैलाने वाले ऑनलाइन ‘साइबर हब’ का गठन किया गया है। ये साइबर हब मुस्लिम विरोधी लहर बनाते हैं और मुसलमानों को कोविड-19 के प्रसार के लिए ज़िम्मेदार ठहराने वाली फ़र्ज़ी ख़बरें शेयर करते हैं।

ह्यूस्टन में राइस यूनिवर्सिटी के बोनियुक इंस्टीट्यूट फॉर रिलिजियस टॉलरेंस की एसोसिएट डायरेक्टर ज़हरा जमाल ने कहा कि 62 फीसदी मुस्लिम धर्म आधारित दुश्मनी महसूस करते हैं और 65 फीसदी दूसरों द्वारा अपमानित महसूस करते हैं।

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