सऊदी अरब ने यमन के आँतरिक संकट में भाग लेते हुए कहा था कि वह 2 से तीन सप्ताह में इस संकट को खत्म कर देगा तथा अपनी मनपसंद हादी सरकार को सत्ता में वापसी सुनिश्चित कर देगा। सऊदी अरब ने कभी सोचा भी नहीं होगा कि यमन युद्ध उसके लिए इतनी विनाशकारी दलदल साबित होगा।
अब हालत यह हो गयी है कि यमन के जिस भाग पर सऊदी नीत गठबंधन का नियंत्रण है वहां भी पिछले 5 साल से यमन के खिलाफ युद्ध की आग भड़काने वाले सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात इस देश के प्राकृतिक संसाधनों पर क़ब्ज़े के लिए एक दूसरे के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं।
यमन के दक्षिणी प्रांतों के घटनाक्रमों का अध्ययन करने पर जो रिपोर्ट सामने आ रही है उसके अनुसार यमन के पूर्वी और पश्चिमी भागों में सऊदी अरब और अमीरात के फौजियों की बीच सैन्य संघर्ष की संभावना बढ़ गई है।
रियाज़ से यमन की बागडोर संभालने वाली सऊदी समर्थित मंसूर हादी सरकार और अमीरात के नियंत्रण वाली साउथर्न यमन ट्रांज़िशनल कौंसिल के बीच रियाज़ समझौते के बाद भी मतभेद गहरा रहे हैं।
यमन के गैस संसाधनों और तेल समृद्ध प्रान्त शबवह को लेकर सऊदी और अमीराती लड़ाकुओं में ठनी हुई है दोनों देश इस क्षेत्र में अपने पैर जमाने के लिए एक दूसरे से भिड़ने को तैयार हैं। वहीँ अबयन , हज़रामूत , सोकोत्रा जैसे महत्वपूर्ण भागों पर क़ब्ज़े को लेकर भी सऊदी और अमीराती लड़ाके एक दूसरे के सामने मोर्चे खोले बैठे हैं।