इज़रायली हमले की पहले से जानकारी थी, हम इज़रायल का समर्थन करेंगे: ट्रंप
अमेरिका और इज़रायल के बीच रणनीतिक रिश्तों की गहराई एक बार फिर उजागर हो गई है। अमेरिकी अधिकारियों ने भले ही दावा किया हो कि उन्हें ईरान पर इज़रायली हमले की कोई पूर्व सूचना नहीं थी, लेकिन खुद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन दावों को खारिज करते हुए इस बात को स्वीकार कर लिया कि, उन्हें इस हमले की योजना पहले से मालूम थी।
शुक्रवार को दिए गए फॉक्स न्यूज़ के इंटरव्यू में ट्रंप ने साफ कहा:
“मुझे पहले से ही इस हमले की जानकारी थी, इसमें कोई सरप्राइज़ नहीं था। अमेरिका इस ऑपरेशन में शामिल नहीं है, लेकिन अगर ज़रूरत पड़ी तो हम इज़रायल की पूरी तरह से रक्षा करेंगे। यह बात भी सही है कि इज़रायल, अमेरिका के समर्थन के बिना ईरान पर हमले का दुस्साहस नहीं कर सकता।
यह बयान ऐसे समय आया है जब हालिया इज़रायली हमले में ईरान के कई नागरिकों, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, की मौत हुई है। इसके बावजूद ट्रंप ने इज़रायल की खुलकर वकालत की और उसके हर सैन्य कदम को जायज़ ठहराया।
उन्होंने कहा कि अमेरिका ने पिछले कुछ हफ्तों में इज़रायल की वायु रक्षा प्रणाली (air defense systems) को मज़बूत किया है, जिससे साफ होता है कि वॉशिंगटन इस संघर्ष के लिए पहले से ही तैयारी कर रहा था। ट्रंप ने दोहराया कि “अगर ईरान ने पलटवार किया और इज़रायल पर हमला हुआ, तो अमेरिका इज़रायल की सुरक्षा के लिए हरसंभव कदम उठाएगा,” ।
इसके साथ ही ट्रंप ने यह भी उम्मीद जताई कि ईरान बातचीत की मेज़ पर लौटे, ताकि इस तनाव को कूटनीतिक तरीके से हल किया जा सके। हालांकि, उन्होंने फिर दोहराया कि “ईरान को परमाणु हथियार रखने की अनुमति नहीं दी जा सकती”, जो ट्रंप प्रशासन की पुरानी नीति रही है।
ट्रंप के इस खुलासे से यह भी स्पष्ट होता है कि अमेरिका और इज़रायल के बीच गहरे सामरिक समन्वय के चलते ईरान पर हमले की योजना कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं था, बल्कि पहले से तय और साझा किया गया अभियान था।

