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आज चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लग रहा है: मनीष तिवारी

आज चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न लग रहा है: मनीष तिवारी

संसद के शीतकालीन सत्र के सातवें दिन लोकसभा में चुनाव सुधार पर चर्चा हुई, जिसकी शुरुआत कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने की। उन्होंने चुनाव प्रणाली, चुनाव आयोग की भूमिका और ईवीएम की पारदर्शिता को लेकर कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए। तिवारी ने कहा कि लोकतंत्र दो मुख्य स्तंभों पर आधारित है: 98 करोड़ मतदाता और राजनीतिक दल। इन्हीं के बीच निष्पक्ष अंपायर की भूमिका निभाने के लिए चुनाव आयोग की स्थापना की गई।

उन्होंने उल्लेख किया कि स्वतंत्रता के बाद सबसे बड़ा चुनाव सुधार राजीव गांधी सरकार के समय हुआ, जब 18 साल से अधिक उम्र के सभी नागरिकों को मतदान का अधिकार मिला। इसके अलावा तिवारी ने चिंता जताई कि आज चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल उठ रहे हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाली समिति में दो सदस्य सरकार से, दो विपक्ष से और एक मुख्य न्यायाधीश (CJI) शामिल होना चाहिए। इससे प्रक्रिया अधिक पारदर्शी और निष्पक्ष हो सकेगी।

मनीष तिवारी ने एसआईआर (Special Summary Revision) प्रक्रिया को लेकर भी सवाल खड़े किए। उनका कहना था कि कई राज्यों में एसआईआर की कार्रवाई हो रही है, जबकि चुनाव आयोग के पास इसके लिए स्पष्ट कानूनी अधिकार नहीं है। इस प्रक्रिया का मूल उद्देश्य केवल वोटर लिस्ट में गड़बड़ियों को सुधारना था। उन्होंने सरकार से संसद में हर निर्वाचन क्षेत्र में एसआईआर के कारण और उसमें पाई गई खामियों के बारे में स्पष्ट जानकारी देने की मांग की।

ईवीएम और वीवीपैट की पारदर्शिता पर भी तिवारी ने ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि जनता के मन में शंका है कि क्या मशीनों में छेड़छाड़ संभव है। उन्होंने दो विकल्प सुझाए: या तो सभी ईवीएम के साथ 100% वीवीपैट लागू किया जाए, या फिर पूरी तरह से पेपर बैलट का उपयोग हो। साथ ही, उन्होंने ईवीएम का सोर्स कोड किसके पास है—चुनाव आयोग या मशीन निर्माता कंपनियों के—इसकी भी जानकारी मांगी।

चुनाव से पहले डायरेक्ट कैश ट्रांसफर को लेकर उन्होंने कहा कि यह चुनाव प्रक्रिया और सरकारी राजस्व के साथ खिलवाड़ है। तिवारी ने प्रस्ताव रखा कि जिन राज्यों का GDP-डेब्ट अनुपात 20% से अधिक है, उन्हें चुनाव से पहले कैश ट्रांसफर की अनुमति न दी जाए।

अंत में उन्होंने तीन बड़े सुधार प्रस्ताव रखे:
चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए समिति में विपक्ष और CJI को शामिल किया जाए।
एसआईआर प्रक्रिया को बंद किया जाए।
चुनाव से पहले डायरेक्ट कैश ट्रांसफर पर रोक लगाई जाए।

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