9 बच्चों की मौत के बाद मध्य प्रदेश में Coldrif कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध
छिंदवाड़ा में हुई 9 बच्चों की मौत के बाद मध्य प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाते हुए Coldrif कफ सिरप की बिक्री पर पूरे प्रदेश में तत्काल प्रतिबंध लगा दिया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने शनिवार को इस घटना को “अत्यंत दुखद” करार देते हुए स्पष्ट किया कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। सरकार ने सिरप बनाने वाली कंपनी के अन्य उत्पादों पर भी रोक लगाने का निर्णय लिया है।
जानकारी के अनुसार, यह सिरप तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित फैक्ट्री में तैयार होता है। घटना की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार ने तमिलनाडु सरकार से जांच कराने का अनुरोध किया था। शनिवार सुबह प्राप्त रिपोर्ट में पाया गया कि सिरप के नमूनों में डाईएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की मात्रा अनुमेय सीमा से अधिक है। इसी आधार पर राज्य सरकार ने कड़ा कदम उठाया।
मुख्यमंत्री ने बताया कि बच्चों की मौत के बाद स्थानीय स्तर पर जांच जारी थी, जबकि राज्य स्तर पर भी विशेष टीम गठित की गई है। इसके अलावा, केंद्र सरकार भी सक्रिय हो गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, CDSCO द्वारा लिए गए छह नमूनों में DEG/EG (डाईएथिलीन ग्लाइकॉल/एथिलीन ग्लाइकॉल) नहीं पाया गया था। वहीं, मध्य प्रदेश FDA के 13 नमूनों में से तीन की रिपोर्ट निगेटिव आई। लेकिन तमिलनाडु FDA की जांच में गड़बड़ी की पुष्टि हुई।
अब देशभर के छह राज्यों में 19 दवा निर्माण इकाइयों पर “Risk-Based Inspection” शुरू हो चुकी है। यह कदम दवा निर्माण प्रक्रिया में गुणवत्ता की खामियों को रोकने के लिए उठाया गया है। इसी बीच, NIV, ICMR, NEERI, CDSCO और AIIMS नागपुर के विशेषज्ञों की एक बहु-विषयक टीम छिंदवाड़ा और आसपास के इलाकों में डेरा डाले हुए है। टीम बच्चों की मौत के वास्तविक कारणों की जांच कर रही है।
छिंदवाड़ा की यह घटना दवा निर्माण कंपनियों की गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े करती है। सरकार की यह कार्रवाई न सिर्फ मध्य प्रदेश बल्कि पूरे देश में दवा सुरक्षा मानकों पर दोबारा बहस छेड़ सकती है। राज्य और केंद्र, दोनों स्तरों पर जांच जारी है और आने वाले दिनों में और बड़े खुलासे होने की संभावना है।

