कश्मीर के शहीदों ने हमारे रास्ते आसान कर दिए: फ़ारूक़ अब्दुल्ला
जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने 13 जुलाई को ‘शहीद-ए-कश्मीर दिवस’ के मौके पर एक भावुक और दूरदर्शी बयान जारी किया है। उन्होंने कश्मीर के उन वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने शाही और तानाशाही शासन के खिलाफ आवाज़ बुलंद करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी।
डॉ. अब्दुल्ला ने कहा कि 13 जुलाई 1931 को हुए ऐतिहासिक घटनाक्रम ने जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक भविष्य की नींव रखी थी। उस दिन जिन बहादुरों ने जेल के बाहर नमाज़ के समय गोली खाकर शहादत दी, वे न सिर्फ स्वतंत्रता के सच्चे सिपाही थे, बल्कि उन्होंने पूरी कश्मीरी कौम के लिए रास्ता दिखाया कि कैसे अत्याचार और ज़ुल्म के खिलाफ डटकर खड़ा हुआ जाता है।
उन्होंने कहा कि कश्मीर के इन शहीदों की कुर्बानियों ने सिर्फ एक ऐतिहासिक बदलाव की शुरुआत नहीं की, बल्कि एक जन आंदोलन को जन्म दिया, जिससे आगे चलकर जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस का उदय हुआ। यह वही पार्टी है जो आज भी जनता की आत्मनिर्भरता, गरिमा और संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष कर रही है।
फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि आज जब जम्मू-कश्मीर फिर से नए राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक संकटों से गुजर रहा है, तब हमें अपने इतिहास से सबक़ लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में कश्मीरी अवाम को चाहिए कि वे एकजुट रहें, सूझ-बूझ और धैर्य के साथ चुनौतियों का सामना करें और शहीदों के सपनों को ज़िंदा रखें।
अपने बयान के अंत में उन्होंने जनता से अपील की कि वे आपसी एकता, भाईचारे और ज़िम्मेदारी के साथ न सिर्फ अपने हक़ के लिए लड़ें, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए एक खुशहाल, न्यायसंगत और स्वाभिमानी जम्मू-कश्मीर की नींव रखें।

